नन्दरानी तथा अन्य एकांकी | Nandrani Tatha Anya Eankanki

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Nandrani Tatha Anya Eankanki by शम्भूदयाल सक्सेना - Shambhudayal Saxena

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about शम्भूदयाल सक्सेना - Shambhudayal Saxena

Add Infomation AboutShambhudayal Saxena

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
संदराजी ] [डर मह ब्ानपे हुए भी में उसे कंसे सुधाऊ ? फिर इसने बड़े कलक की बात [ मदरानी ठमी हो मुझे सुता बहिन | हुस शौर कसक का इतमा बड़ा बोर मैं तुझे; भकेसे दोसे गहीं बु गी। तेरा दुवल घरोर देवको मैं सुनाऊं घो तू मुझे घृणा छे दुरदुरा देगी | तैरे स्नेह वी विधि को छोने का जोखम कंसे उठाऊ मला ? शदइशमी जिसे मैंने शरमुना को साक्षी करके सली माना है सूर्य प्रोर श्रंद्रे जिस बहिनापे के पवाह हैं वह गया यों टूट सकता है भोत्ती ! देघढी भप्तोदा जोजो ऐेरा हुठ | उप्तके प्रागे बया मेरा द्रव ठहर सकता है। छेसुन | ( पुह बोड़ा भाये करके इस प्रडार कहती है कि लप्तोरा के प्रिया कोई प्रौर न सुन पापे । ) मेरा छुह देसना पाप है नदराभी। में पुषधातिनो है। में प्रपनी संत्रति को भाप हो सवा जाती है । सदरामों ( प्रदरक् में भरकर ) यह तू बया कहती है देवकी ?




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now