वर्तमान एशिया | Vartaman Eshia

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Vartaman Eshia by बाबू रामचन्द्र वर्मा - Babu Ramchandra Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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& भारतकी दो दालें कि अबकी प्रेट व्रिटेनको सबसे बड़ा युद्ध रूस और फ्रान्सके साथ करना पडेगा। अँगरेजोंको औपनिवेशिक प्रमुस्वके सम्बन्ध- में एशियाम रूसियोंका और अफ्रिकामें फ्रास्सका बहुत अधिक भय था | कुछ अगरेज साम्राज्यवादी तो यहाँ तक कहते थे कि रूस और फ्रान्सका भुकावला करनेके लिए अँगरेजोंको जमंनीके साथ मित्रता कर लेनी चाहिए। पर जब सयोगवश श्रंग रेजोंकी रूसियों और फ्रान्सीसियोंफे साथ सन्धि हो गई, तब ओँग- शेज लोग जमंनीके भारी मित्र होनेके बदले भारी शत्रु द्वो गये | अफगानिस्तानऊे जो 'मीर अब्दुलरध्मान साँ रूस और प्रेट ब्रिटेनके मध्यमें रहफर अपने सब काम बहुत ही सममदारी और निर्मकताके साथ करते थे, सितम्बर १९०१ में घनका देहान्त हो गया भारत सरकार उनको बहुत दिनोंसे डराया करती थी कि रूस तुम्हारे देश पर आक्रमण फरेगा ही, यदि तुम अपने यहाँ तार और रेल बनवा लो, जिसका प्रयन्ध हम लोग अच्छी तरह कर देंगे, तो तुम उसके आक्रमणसे सहजमसे बच सकोंगे। पर अमोर अब्दुलरशमान साँ रूसियोंके रोगको जितना बुरा समझत थे, अँगरेजोंके औपघको भी वे उतना हो घुरा सममते थे | नवम्बर १९०० में उन्होंने अपना जो आत्मचरित प्रकाशित कराया था, उसमें उन्‍होंने इस सस्वन्वमें अँगरेजोंकी मीतिका बहुत अच्छा ' विवेचन किया था। थे चाहते थे कि अफगानिस्तानकों एक बन्दर गाह और समुद्र स्क पहुँचनेका मागे, और सीधे लण्डनसे बातचीत ऋरनेका अधिकार सिले। व्यापार सम्वन्यी वातोंमें वे यह नहीं चाहते थे कि भारत सरफार अपने लाभऊे जिए हमें मनमाना नाच नचाती रद्दे और हमसे लाभ उठाती रहे। थे भपने व्यापार पर आरत सरकारका अधिकार नहीं होने देना चाहते थे, इसलिए उन्होंने आज्ञा दे दी थी किन तो हमारे देशसे घोडे भारत भेजे जाया




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