कुरुक्षेत्र | Kuru Kshetr

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : कुरुक्षेत्र  - Kuru Kshetr

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

Author Image Avatar

रामधारी सिंह 'दिनकर' ' (23 सितम्‍बर 1908- 24 अप्रैल 1974) हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।

'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद 'राष्ट्रकवि' के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तिय का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है।

सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया ग

Read More About Ramdhari Singh Dinkar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
विज्ञप्ति | धब तर बुरधेज' का प्रशापत उदपाषमस सै होठ रहा । 1 प्रद मैंजे झवबाचस को बह शोटिस है दी है कि बह शुसधे विणित लिये बिना मैरी कोई मी बृत्तच्च प्रस्शधित मे करें । भ्यएक 'मु महू मंशा सहऋरंण राश्पास एण्ड ध्ंप कै यहाँ से प्रकानित हो रहा ६1 /पूरभज' है बीस-बाईस घेरहरभ विकश थूरे हैं । बूंकि बहुत को मे है पृएतेत जा परृद्ठ गही रैशा राद्य बा इसस पुस्तक मे जहां“ परजेक मूर्भ यह बपी थी । इस आर मैंते परिभ्रग करके मूर्ते कुपार दी है! गुरतेत पुस्तक कई जब पर पादूय-एग्य के रुप में पड़ापी थारै है. बाई प्रतर्षों शो सेकर प्राशे धौर शिशड़ों हे मुझे पर सिसे बे । झ प्र ये से कुछ बर समौषीन टिप्पपियाँ इस संस्करण में छोड़ दी धऐ है। प्रामा है एवं टिप्पलिया है क्लात्रों प्रौर शिष्ारों को बीड़ा प्रपत पिगणा। मई श्त्नी --धामपारी घिह दिवए (ब-४-०३४ झूर॒प । छह रच (600) ६ तरतगाएँ दिए छिएए फस्चज इच् बस्स धररय 19835 ह.02801:4)1:174 (८), ॥7 १.६७ 010४ ६ब्वपे एफ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now