कुरुक्षेत्र | Kuru Kshetr
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
973 KB
कुल पष्ठ :
142
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
रामधारी सिंह 'दिनकर' ' (23 सितम्बर 1908- 24 अप्रैल 1974) हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद 'राष्ट्रकवि' के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तिय का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है।
सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया ग
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विज्ञप्ति |
धब तर बुरधेज' का प्रशापत उदपाषमस सै होठ रहा । 1
प्रद मैंजे झवबाचस को बह शोटिस है दी है कि बह शुसधे विणित
लिये बिना मैरी कोई मी बृत्तच्च प्रस्शधित मे करें । भ्यएक 'मु
महू मंशा सहऋरंण राश्पास एण्ड ध्ंप कै यहाँ से प्रकानित हो रहा ६1
/पूरभज' है बीस-बाईस घेरहरभ विकश थूरे हैं । बूंकि बहुत को
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परजेक मूर्भ यह बपी थी । इस आर मैंते परिभ्रग करके मूर्ते कुपार दी है!
गुरतेत पुस्तक कई जब पर पादूय-एग्य के रुप में पड़ापी थारै
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प्र ये से कुछ बर समौषीन टिप्पपियाँ इस संस्करण में छोड़ दी धऐ
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