युगीन शैक्षिक चिन्तन | Yugeen Shaikshik Chintan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
178
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)के जो जो भी उपाय करते हैं परीक्षार्थी उन्हें नकारते हुए नकल करने के
नये नये तरीके खाज लेते हैं। आज लगभग सभी शिक्षा बोर्ड वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्नपत्रों में जोड रहे हैं। सम्भव है अगली सदी म॑ विश्वविद्यालयों की परीक्षार्थिया
मे भी इन्ह जोड़ा जाय। इससे प्रश्ना की सख्या बढ जायंगी तथा परीक्षार्थिओं
को पूरा पाठ्यक्रम पढ़ना होगा। शिक्षकों को वस्तुनिष्ठ परीक्षा की तकनीक
तथा दर्शन से परिचित कराने क लिए प्रशिक्षण देना होगा! यदि ऐसा हो
सका तो परीक्षा की बैधता बढ जायेगी। यद भी सम्भव है कि वार्पिक परीक्षा
के बजाय सिमेंस्टर प्रणाली चालू हो जाय। कुछ विश्वविद्यालयों में इसे आर्म्भ
किया गया है अन्य बुछ ने इसे चालू कर स्थगित कर दिया। सम्भव है
इस अनुभव का लाभ उठाकर सभी सावधानिया बरतते हुए पुन सही एवं
पूरे मन से तथा गम्भीरता के साथ इसे चालू कर दिया जाया
आज जो परीक्षाएं आयोजित होती है थे मुख्यत सूचनाओं की परीक्षा
होती है। आने वाले समय मे कौशल तथा ज्ञानोपयोग की दृष्टि से परीक्षा
का स्थान महत्वपूर्ण बन जाय।
आज अधिकाश परीक्षाओं में अक दिये जाते हैं जो कई अवाछित
तत्वों तथा बुराइयो को जन्म देते हैं कई छात्र तो अपनी जीवन लीला ही
समाप्त कर लेते हैं। कई स्थानों पर 48 प्रतिशत तथा कई स्थानों पर 45
प्रतिशत पर द्वितीय श्रेणी प्रदान को जाती है। जो भी स्थिति हो 47 या 44
प्रतिशत को तृतीय श्रेणी दी जायेगी। व्यवहार मे यह अन्तर सुध्ष्मातिसूध्म है
जिसम॑ नापने या गिनने की भी गलदी हो सकती है तथा विद्यार्थी का अहित
हो सकता है। इस मानवीय कमजोरी को दूर करने के लिए गेडिग पद्धति
अगली सदी में विधिवत अपनाई जा सकती है 1
परीक्षाओं में नकल की समस्या से परेशान होकर कई शिक्षाशास्त्री
अगली शताब्दी मे परीक्षा ही समाप्त कर देने का सुझाव देते हैं। उनके अनुसार
शिक्षा सस्थान के खुलने के दिनां की सख्या तथा विधार्थी के उपस्थित होने
के दिनां की सख्या का प्रमाण पत्र परीक्षार्थी को दे दिया जाये। आखिर इस
परीक्षा का उपयोग हो क्या है? जब नियोक्ता या अन्य पाठ्यक्रम वाले अपनी
प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करते हैं। चिकित्सा अभियान्त्रिकी शिक्षा आयुर्वेद
समाजकार्य आदि सभी अपनी परीक्षाएं आयोजित कर प्रवेश देते हैं इसी भाति
बैक तथा अन्य नियोक्ता अपनी अपनी परीक्षाएं आयोजित करते हैं तो इन
परीक्षाओं की उपयोगिता या वैधता ही क्या है? लगता है कि इनकी सामाजिक
स्वीकृति समाप्त हो गई है तो फिर विद्यार्थी को उसके विद्यालय में उपस्थिति
के दिना की सख्या का प्रमाण पत्र दे कर पिड छुडा लेना समीचीन लगता
है।
युगीन शैक्षिक चिन्तन/13
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