स्त्री कर्तव्य शिक्षा | Stari Kartavya Shiksha

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Book Image : स्त्री कर्तव्य शिक्षा  - Stari Kartavya Shiksha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मूहिणी ग्झूकी शांमा १७ नस्चअ्स्स्स््स्स्लचचननन्िनन्न्न्म्न्न्न्न्स्स्न्न््म्न्स्स्स्म्स्म््िि बात आ जाती है। यह काम तो मिसरानी या ब्राह्म॒णी भी कर सकती है। इसका विशेष कारण यद्द है कि उसके स्नेहका मधुर सोता चहकर सब वस्तुओ को अम्गत बना दती है। इसोलिये गृहिणीको अन्नपूर्णाकी उपमा देते हैं। भारतवर्षके कवियो'ने इस अन्नपूर्णारूपी गृहिणीके यशमे अनेकी सुललित गान गाये हैं । जिस सम्रय गृहिणी स्वर रसोई नहीं घनाती उस सयय भी भोजनके समय तो वह अवश्य खडो रहकर घरके हरेक आदमीक्क खान पान आदिकी देखरेख करती है क्‍योंकि स्त्रियों का यह खाभाविक कम है । वे इसके लिये सठा चिन्तित रहती हैं कि किसे क्या भोजन मिला । यदि स्त्रियों मेंसे यह भाव दूर हो जाय तो उनका एक प्राकृतिक ग्रण ही नष्ट हो गया समभिये। ,. २८०७ . शीप्ज ऊ




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