भेद - भरी सुन्दरी | Bhed Bhari Sundari

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Bhed Bhari Sundari by पंडित ईश्वरी प्रसाद शर्मा - Pt. Ishvari Prasad Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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५७ फिर मिलती बन्छ्म्त्यात्प नौकर--'मैं तो उसे उसी दिनले नहीं देखता, मिस दिन फॉजयरगके प्रिन्स देकर यदा आये थे ।” डाकुर--“ अच्छा, तुम जाओ, मेरे पास दूसरा फोटो है। मि० ब्लेफ | आप थोडी देर सब्र फीजिये, में ऊपरसे घद फोटो लाकर आपको देता ह [” यद्द कद्द डाफूर ऊपर चले गये । इधर म्रि० ब्लेक मेजपर डैेलीफोनके पास पडी हुई एक पुस्तक देखने लगे । डाक्टरके लौटनेके पदले द्वी उन्दोंने पुस्तक देखकर ज्यों-फी- स्थो रफ़ दी और आप अपनो जगद्दपर पूर्वंबच्‌ बैठ रहे। थोडी देरमें डाफूर एक फोटो लिये हुए आये और उसे मि० ब्छेकके हाथर्म देते हुए घोले--''लोजिये, यद्दो उसका फोटो है।” पाठक्ोंको याद द्वोगा, कि दिड्वर भी मि० ब्छेफकके साथ आया था । वद भी पास ही चैठा हुआ था | उसने भी धीरेसे उस 'फोदोको देख लिया। देखते द्वी चंद अकचका गया । उसने देखा कि इसका चेंदरा मिस जैक्सनसे मिलता-झुछुता है। उसमे तुर्त ही डाकुरसे पूछा-- “क्षमा कीजियेगा, में आपसे एक थात पूछना चाहता € । क्‍या आप किखी म्रिस जेक्सनको जानते है १? डाकरने लिर दिलाकर बतलाया कि नहीं | प्रि० ब्लेक अपने सहकारीकी इस वातपर बड़ें आश्चर्यमें पडे, क्योंकि उसने उनसे भी मिस जेक्सतकी बात,नद्दीं फद्दी थी ।' उन्दोंने यद्धापर उससे 'कुछ पूछना गचउ्छा नहीं समम्का 1 न




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