चमकते सितारे | Chamakate Sitare
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
142
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आ्यरक्षित १७
प्रश्नायरक्षित की सेवा में उपस्थित हुए, उन्होने वार्तालाप
शक प्रस मे कहा-ज्ञात होता है कि जेन-साधना
तरपिद्धति मे ध्यान का कोई भी महत्त्व नही है।
(४ आर्यरक्षित ने कहा--तुम्हारी यह घारणा अन्त.
110 | तुम्हारा ही बन्धु पुष्यमित्र गजव का ध्यानी है
फृधिसके कारण ही वह दुवेल दिखाई दे रहा है ।
उन बौद्ध अनुयायियों ने उपहास करते हुए कहा
'श--सरस आहार के अभाव मे ये कृश हो गये होगे, कही
किक्रोई ध्यान की साधना से कृश होता है ?
1 आयेरक्षित ने प्रतिवाद करते हुए कहा--जैन
(धासन में घृत आदि सरस आहार की कोई कमी नही
पहै। इसे खूब ही सरस आहार प्राप्त होता है किन्तु
दिप्रतत अध्ययन और ध्यान-साधना में लगे रहने के
'हेकारण यह कृश है। सरस भाहार करने के बावजूद
कली योग की साधना से यह कृश रहता है। यदि तम्हें
ए1४रे कथन मे विष्वास न हो तो त्तम इसे अपने आवास
पूेंप्ते रखकर निरन्तर स्निग्ध भोजन कराकर मेरे कथन
[की वास्तविकता देख सकते हो ।
|. बन्धुजनों के अत्यधिक आग्रह से आचाये आये-
रक्षित ने दुबेलिकापुष्यसित्र को उनके वहाँ पर रहने
६ का आदेश दिया । निरन्तर सरस आहार करने पर भी
(' जब ये दुबंल ही रहे तब उन्हें आचार्यदेव के कथन पर
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