मोहन - मोहनी | Mohan-mohini
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
90
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ह मीहत-मोदिवी # ; श्प
सत्र रुचु है। फिर सी आप साग हा खाभ फरमाते द॑
ख्रापदा फ्या चाड़िये ऋम! किस बात री हैं
माधर--अरी मुझे यद सब कूछु मालूग है, इसस उच्यो का
क्या साहा कय शभा व्याद् की आपश्यक्ता नहीं है।
सात्ता-तो, ध्स किस खाल का आयश्यकता है ।
मसाधर--इसलका इस समय पिद्यारम्म कराना, खूब पहागा,
लिखा[पा, सदाच्ार घिखापा, व्यायाम वा शोक
दिल्वागा, ब्रह्मचर्यरा मदत्य यतलागा, पुर्ट यनिष्ट बनाया
धभ्योग इनका भविष्य जांधत उच्च श्ान्शं झाप बगागा।
मागती--( हंसकर ) शर बाह | यह भा झापन एप दा बहा |
धग्या उस पढ़ा ल्िस्वावर पौररा करधयगा ऐ, फरसरस
सिखा कया शज़ाड़ें में राउवागा दे? थअह्मचर्य सिग्या
क्या साधु बपयाए दै ! सदा प्यारा पुत्र यदि बिगा पढे
हा दंगों दाथा से घर लुटाया छर तो भौ सात पाढ़ा
तक घर से धांत | तो४+र चाकर जहाँ उसका प्ताया
गिरे खूब गिरात हा सैयार रहते हैं। ऐसा स्थिति में
आपका उसके शरीर ब) चिता भी 1 छच्मा चादियेव
मधप-अरे तुम आम कैसा बातें बपजला हा | देश का दशा
छुम्हें मालुम पह्दी | आभ हमारा क्मओऔरा द कारण दा
*( गुझों छाश ) दमारा यट्व बरिया बहाई ज्ञाता हैं, मा
*। अक्ूर दाता है।धर्मप्राण देशगर्तों का दृत्यार्थ ढासा है
*.. दूबताओं वा अझपगानहाता है। फिर ससार में ह॒द्धि
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