बाल स्वास्थ्य रक्षा | Baal Swasthy Raksha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बाल-खास्थ्यरत्ता । डर और मानता द्वी है कि परम पिता परमात्मा ने ससार मात्र के उपकार फे लिए सब सत्य विद्याओं का भण्डार वेद प्रकाशित किया है ! यद्द दूसरी घात है कि हम प्रल्प विद्या-मुद्धिवाले मनुष्य उन सारी विद्याश्रों का ज्ञात नहीं रखते, या हमे वे सब विद्यायें बेद मे नहीं दिसाई पढ़ती । किन्तु प्रपनी प्रज्ञानता से यदि काई यह सम ले कि वेद में विद्याये हैं ही नहीं, उसमे हमारे काम की सब विद्यायें हो ही नहीं सकतों, ते उनका ऐसा समझना भारी भूल है। बात यह है कि जब तक मनुष्य पूर्ण ब्रह्मचर्यत्रत धारण करफे बरेदादि सत्य- शास्त्रों का पठन, मनन झौर निदिध्यासन नहीं करता, तब तक से मालूम द्वी नहीं द्वो सऊता कि वेके में क्‍या है चेदे के महत्त-ज्ञान मे लिए, उनका तत्त समभने फे लिए, लोगो फो ब्रह्मचर्यत्रत धारण करके सस्क्ृत विद्या का पूरा पूरा अभ्यास करना चाहिए। ए, वी, सी, डी, या झलिफ, बे, पे, पढ़ने मात्र से वैदिक तत्वों फा बोघ नहीं हे। सफता । जे लोग अपने प्राचीन वेदों के मम्मे जाननेवाले प्राचीन ऋषिमुनियों का निरादर करके विदेशियों के अ्रध-फचरे विचारा के पिछलगू दो रहे हैं वे पवित्र बेदे। की पावन शिक्षा का कभी अनुभव नहीं कर सकते । अच्छा अब ग्रसली सतलब पर आइए । वेद मे स्वास्थ्यरक्षा की श्रावश्यकता और उसकी उपाये। का बीज मात्र देस कर हमारे प्राचीन वैदिक ऋषियो से ससार फी उपकार फे लिए-




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