कगार और फिसलन | Kagar Aur Fislan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
120
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कुछ भी तो नहीं समझ सकी वहू। आसपास सटे हुए फ्लैट, विलकुल ही
लोअर मिडिल क्लास | लडके-वडज़ियाँ चिल्ल-्पों मचा रहे थे 1 हु
मिस श्रॉफ आणष्टिया को देखकर शायद उन सवों को सम्देह हुआ हो
कि यह बहुत वी आदमी हैं। सभी लोग चंचल हो उठे । इस अंधे री बस्ती
में इतने लोग एक-एक रहते होंगे। आप्टिया कभी इसकी वल्पना भी
“नहीं कर सकी थी। एक वार उसके मन में आया वह लौद चले, लौट
चलना ही झायद अच्छा होता। घर लौट जाने पर ड्राइवर अथवा नौकर
के हाथ बैग वापिस भिजवा देना ही ठीक रहता 1
-+किसे चाहती हैं आप ?
-+मिस सेन ।
--उस तरफ जाइये। पीछे की ओर, ग्राउण्ड फ्लोर पर।
और कुछ नही कहना पड़ा। विल्कुंड पतली गली से होऋर पीछे की
सरफ जाने का रास्ता। वह भी अन्धकारपूर्ण | अंघेरे मे किसी तरह
डटोल-टटोलकर फ्लैट के ठीक सामने आण्टिया पहुँची ।
सामने ही एक दरवाज़ा था। जरा-सा खुला हुआ। भीतर रोघधनी 1
“उसी फाँक से दिसाई पडा कि मिस सेन किसी के साथ वातें कर रही है ।
एक मैली साड़ी पहने हुए है। किसके साथ बात फर रही है ? लेक्नि
मस्त सेन ने तो कहा था कि उसके घर भे कोई नही है । तव यह कोन हैं *
किसके साथ वात कर रही है ?
“-मिस सेन1
बाहर से दिखाई पडा कि मिस सेन जैसे चौक पड़ी हो । आण्टिया के
शले की आवाज सुनते ही तुरन्त वाहर चली आयी।
+-ओहू् आप !
--दरवाज्ञा खुलते ही आण्टिया ने देसा कि एक आदमी सामने बैठा
है। इतनी देर तक नही दिखाई पड़ा था । दोनो ही आमने-सामने बैठकर
बातें कर रहे थे। ऐसी हालत मे जैसे आण्टिया के आ जाने की आश्या नहीं
थी उन्हें ।
मिस श्रॉफ आण्टिया के भी मन में हुआ कि इस हालत में यहाँ जाकर
उसने जैसे ठीक नही किया। उसे देसकर वह युवक भोचवका-सा खडा रह
गया । कितना मैला और सस्ते किस्म का पैण्ट पहन रसा है। एक टुइल
की धर्ट है देह पर। दुवला-पतला। प्रोटीन की कमी सारे चेहरे पर झलक
रही थी । और मिस सेन भी कितनी “अगली, सगी। आफिस में तो जरा
सज-धजकर आती है।1 हो सकता है कि जरा-पाउडर भी लगाती हो *
लेकिन यहाँ, इस घर के भीतर मेली साडी पहन कर बैठने में कोई ल
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