सिद्धांत सूत्र समन्वय | Sidhant Sutra Samanvaya

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Book Image : सिद्धांत सूत्र समन्वय  - Sidhant Sutra Samanvaya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१४ समपेण अल” प्कि ६7. श्री शान्तिमांगर जगदगुरु मारमारी, श्री वीतराग पटवजित लिगबारो। झाचाय साधुगणश पूजित, विश्वकीति, भक्त्या नमामि तपतेज सुदिव्य मृति ॥ सिद्धांत सत्र अरु पू्ूण श्रताणिकरारी झो संयम्राधिपति भज्य भवाब्धितारों | मेरी विशुद्ध रचना यह भेंट लीजे, भिद्धांत रक्तण तथा व कृताथ कोजे |! >रमव्विश्व+न्ध, लोकदितकुर, अनेक उद्धटबरिद्वान तपस्त्री श्रा वाय साधु शिष्य समृद् प!रवेष्टित, चारित्र चक्रवर्ती पूज्य पाद ४] १०८ आवचाय शिरोमणि श्री शांतिसागर जी मद्दाराज के कर कम्जों में ये प्रन्य-रचना पूरं। भक्ति भौर श्रद्धांजनि$ साथ समाप्त है| चरणोपासक- मे पेंखनशाल शाली




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