सिद्धांत सूत्र समन्वय | Sidhant Sutra Samanvaya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Sidhant Sutra Samanvaya by खूबचन्द्र सिद्धांत शास्त्री - KhoobChandra Siddhant Shastri

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about खूबचन्द्र सिद्धांत शास्त्री - KhoobChandra Siddhant Shastri

Add Infomation AboutKhoobChandra Siddhant Shastri

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
१४ समपेण अल” प्कि ६7. श्री शान्तिमांगर जगदगुरु मारमारी, श्री वीतराग पटवजित लिगबारो। झाचाय साधुगणश पूजित, विश्वकीति, भक्त्या नमामि तपतेज सुदिव्य मृति ॥ सिद्धांत सत्र अरु पू्ूण श्रताणिकरारी झो संयम्राधिपति भज्य भवाब्धितारों | मेरी विशुद्ध रचना यह भेंट लीजे, भिद्धांत रक्तण तथा व कृताथ कोजे |! >रमव्विश्व+न्ध, लोकदितकुर, अनेक उद्धटबरिद्वान तपस्त्री श्रा वाय साधु शिष्य समृद् प!रवेष्टित, चारित्र चक्रवर्ती पूज्य पाद ४] १०८ आवचाय शिरोमणि श्री शांतिसागर जी मद्दाराज के कर कम्जों में ये प्रन्य-रचना पूरं। भक्ति भौर श्रद्धांजनि$ साथ समाप्त है| चरणोपासक- मे पेंखनशाल शाली




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now