शुभदा | Shubhada
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
226
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सुप़ा हद
“क्या उसमें ऐसी बातें हूँ जो होती वाइब्रिल में महीं ।
“हैं फादर ।
फो नहीं सकता है । प्रमु ईसामसीह जी मिय्रामत तो होसी
याइबिस ही है ।
'पर उपनिपद् तो प्रभु ईसामसीड़ से बहुत पुरानी है ।
'धुरामी होन से कया हुआ । उनमें हांगे तो बही हु किस्से-
बहानियाँ ।
उनमें 'कम्ट-पहानी नहीं हू उनमें ब्रह्म गा मे” बताया गया
है। जो अध्षर है अगाषर है मीर अविनाधशों है ।
माई याष्ट मर प्यार तुम इतस श्रस्ते नौजवान होरर कैसे
एमी वाहियात याले कर रह हा !
शमसोहनराय हँस पट । उम्हात बड़ा-- फादर मने अपने
का कुएँ का मेंदर सहीं रहने दिया । में एवं वहते दरिया के समान
हैं । जहाँ से जो जात मिलता है से सता हैं । मे कुरान पढ्ा
बाइविस पता, फिर छिस्वत बै' सौपनाओ पहाड़ में जा कर भौटठपर्म
मे रहस्य जाने । बेद-वदाम्ता भऔौर उपनिषद् का मतने जिया, और
भी बर एहा हैं। भाप भी ऐसा ही कीजिए पादर । सब पर्मो वा
सष्या जान प्राप्त बीजिए 1”
“सैत्ाम स जाग राष पर्मो वो भौर उननी गन्दी किताओं को
भी । शुम फौरन भरमु ईसामसीहू भी शरण म्ाआ प्रो हमारी मैया
का पार रिजिया है ।
पयरश मर सामस ध्सस भी महर्वपूण काम है। यद हमार
शंका अपभपरारपूर्ण शौर निराणा भा बाल है । सारा इत भास्ठि
हति और भरीतिपा * मंवर में फंसा है । सम उतर मानसिप परातछ
बों उप्तत इ एने के लिए अंप्रेजी शिप्ता बा समपन कर रहा हैं । परत्तु
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