फ़्रांस की राज्यक्रांति भाग -1 | Frans Ki Rajyakranti Part - 1
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.25 MB
कुल पष्ठ :
268
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about सत्यकेतु विद्यालंकार - SatyaKetu Vidyalankar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१९ विषय प्रवेश
कपड़ा तैयार करती हैं । कल कारखानों के विकास ने यूरोप के श्रार्थिक
जीवन को बिलकुल बदल दिया है । स्वतन्त्र कारीगर का स्थान झाज
पूँजीपति और मजदूर ने ले लिया दे । स्त्रिया अब स्वाधीन हो चुकी हैं |
उन्हें सब चेत्रों में अब पुरुषों के बराबर अधिकार मिल गये हैं। स्त्रियों
की स्वाधीनता के कारण यूरोप के सामाजिक शऔर पारिवारिक जीवन
म भारी परिवतन आा गया है | धर्म के सत्र मे आाज प्रत्येक व्यक्ति स्वतन्त्
हे | धर्म के कारण शाज कोई व्यक्ति किसी अधिकार से वज्चित
नहदीं रहता | «
यद्द महान परिव्तन किस प्रकार झागया,यद्दी दम इस इतिहास में स्पष्ट
करेंगे । पर यद्द ध्यान में रखना 'चाहिए,, कि यह परिवर्तन एक दम नहीं
हुआ। मनुष्य जाति के इतिहास में कोई परिवर्तन भ्रकस्मात व एकदम नहीं
होता | मानव शरीर के समान मनुष्य जाति भी एक जीती जागती चेतन
सत्ता है । उसमें उन्नति और हवस दोनों धीरे धीरे दोते हैं । हमने १७८९
से यूरोप के आधुनिक इतिद्दास को शुरू किया हैं । इस वर्ष फ्रास मे राज्य-
कान्ति का श्रीगणेश हुआ था | पर यह नहीं समभना चाहिये, कि १७८९
में ये रब महान् परिवर्तन यूरोप में श्रकंस्माद् शुरू होगये थे । ये परिवर्तन
देर से धीरे धीरे हो रहे थे । १७८९ के बाद भी ये धीरे धीरे दोते रहे ।
पर सुगमता के लिये हमने १७८९ के साल को आधुनिक यूरोपियन इति-
हास का प्रारम्भ करने के लिये चुन लिया दै। जिस प्रकार मनुष्य के
जीवन में वाल्य, यौवन और बुढ़ापा--तोनों अवस्थायें कमशः आती हैं |
दम यह नहीं वत्रा सकते कि किस दिन वाल्यकाल समाप्त हुआ और यौवन
का प्रारम्भ हुआ; या यौवन का भ्रन्त हो बुढ़ापा शुरू हुआ | पर यह
निश्चित है, कि किसी.समय वाल्य के बाद डौवन और यौवन के वाद
जुढ़ापा श्राजाता दै | हम केवल सुगमता के लिये यह मान लेते हैं, कि
२५. वर्ष की आयु में यौवन और ५.० वर्ष में बुढापा शुरू हो जाता है ।
इसी तरह मनुष्य जाति के इतिहास मं परिवर्तनों के धीरे धीरे होने के
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