फ़्रांस की राज्यक्रांति भाग -1 | Frans Ki Rajyakranti Part - 1

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Frans Ki Rajyakranti Part - 1  by सत्यकेतु विद्यालंकार - SatyaKetu Vidyalankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१९ विषय प्रवेश कपड़ा तैयार करती हैं । कल कारखानों के विकास ने यूरोप के श्रार्थिक जीवन को बिलकुल बदल दिया है । स्वतन्त्र कारीगर का स्थान झाज पूँजीपति और मजदूर ने ले लिया दे । स्त्रिया अब स्वाधीन हो चुकी हैं | उन्हें सब चेत्रों में अब पुरुषों के बराबर अधिकार मिल गये हैं। स्त्रियों की स्वाधीनता के कारण यूरोप के सामाजिक शऔर पारिवारिक जीवन म भारी परिवतन आा गया है | धर्म के सत्र मे आाज प्रत्येक व्यक्ति स्वतन्त् हे | धर्म के कारण शाज कोई व्यक्ति किसी अधिकार से वज्चित नहदीं रहता | « यद्द महान परिव्तन किस प्रकार झागया,यद्दी दम इस इतिहास में स्पष्ट करेंगे । पर यद्द ध्यान में रखना 'चाहिए,, कि यह परिवर्तन एक दम नहीं हुआ। मनुष्य जाति के इतिहास में कोई परिवर्तन भ्रकस्मात व एकदम नहीं होता | मानव शरीर के समान मनुष्य जाति भी एक जीती जागती चेतन सत्ता है । उसमें उन्नति और हवस दोनों धीरे धीरे दोते हैं । हमने १७८९ से यूरोप के आधुनिक इतिद्दास को शुरू किया हैं । इस वर्ष फ्रास मे राज्य- कान्ति का श्रीगणेश हुआ था | पर यह नहीं समभना चाहिये, कि १७८९ में ये रब महान्‌ परिवर्तन यूरोप में श्रकंस्माद्‌ शुरू होगये थे । ये परिवर्तन देर से धीरे धीरे हो रहे थे । १७८९ के बाद भी ये धीरे धीरे दोते रहे । पर सुगमता के लिये हमने १७८९ के साल को आधुनिक यूरोपियन इति- हास का प्रारम्भ करने के लिये चुन लिया दै। जिस प्रकार मनुष्य के जीवन में वाल्य, यौवन और बुढ़ापा--तोनों अवस्थायें कमशः आती हैं | दम यह नहीं वत्रा सकते कि किस दिन वाल्यकाल समाप्त हुआ और यौवन का प्रारम्भ हुआ; या यौवन का भ्रन्त हो बुढ़ापा शुरू हुआ | पर यह निश्चित है, कि किसी.समय वाल्य के बाद डौवन और यौवन के वाद जुढ़ापा श्राजाता दै | हम केवल सुगमता के लिये यह मान लेते हैं, कि २५. वर्ष की आयु में यौवन और ५.० वर्ष में बुढापा शुरू हो जाता है । इसी तरह मनुष्य जाति के इतिहास मं परिवर्तनों के धीरे धीरे होने के




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