टोडाय चरितमानस | Todaya Charitamanas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
358
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डा शत्प्य ई २७
इच्चा की टछ्कत मर का दूध है, और माँ का दु८ रनूए की दाद पर दिर्मेर है ६
ग्ोझ़े देर बाद मदटोनयलो कादी है 1 इद्स्दो को ठदरारऋ करने । साख हो,
बुघनी बरी बच्ची हो वो है! मां दोने झे क्या होठा है--पेट से निकुजते हो कोई
खौरी-बर का विदि-विवात शोड़े शान केठा है ? कद स्वात करने का दिन है $ मइतो-
पलों के नहीं देखने-मुतने से काम केसे चत्तेदा--ओऔर डिसे ररज है यहू सद देखने»
मुनते को ? महठो-पलो होने का दापित्द तो कम नहों १ छठे ही बुघनी से पूछा--
ममृर दाल में सदमून का छोहन रिया था या अदरख का २ बा ? दुद्बन बन्द दो २
किम्नने कह्ठा ? तुन्हारे 'पुर्ख” ने? मेंने छुद देखा है कि दुकान छुपो है, ब्कि मैंने
नमक भी खरोंदा है !***
इम्रके बाद महतो-सत्ली दोड़ाप के दापिर को गानोंरलौज करतो है ॥ बुएनी
साथ-साथ उकसादी है। टोने के अन्य वयस्क पुरुष को महतो-पली इस तरह निश्यम
हो डॉट नहीं सकी । सेडिन इस बादमी को तो कोई मो दाठ सुना सकता! है ॥
मदृ॒तो-पत्ली के चने जाने के बाद यह 'पुस्ख” अपनी पतली के निकट जाकर
साये बातें म्च-सच कह डाचता है और अपनी गसती स्वीझारता है ।
बुधनी मन ही मन दँसठी है । ऐसे 'पुस्ख” पर कया गुस्सा कर, रद्द था सकता
है | सोगों की हँती-सट्टा भी नहीं समझ पाता) नहीं तो भला कल हें-हैँ करते हुए
सुझमे केसे कहता कि रठिया 'छड़ीदाए ने उससे पूछा है--डेटे के शेर का रंग
मकमूदन दावू की तरह हुआ है क्या ?
जि
बुधनी का देधव्य
ओर पुवविधाह्
ढोड़ाय काफी मोदा-ठगढ़ा हुआ था। रंग भी काला वहां, बल्कि उज्जवल
श्यामवर्ण---तठठमा जिसे गेहुँगा रंग कहते हैं। उसका बाप साँक पड़ते ही काम-घाम
के आकर उसे गोद में ले वेठता । घेटा होने के दाद से उसने मजन-मेडली में रात को
जाना बन्द कर दिया । इस बात को लेकर टोले के लोग छूब मजाक करते । बुधती
आँगन में पूल्हे के निकट बेठती और वह दरवाजे कौ फरको के नजदीक बेटे को गोद
में लेकर बेठता और दुधनी से गप-शप्र करता 1
बकर-हट्टा-आ-भा-
बरद-चट्टानआा-आ-
सोजा-यट्वा-आ>्आा-
*“बुफती हो बुधनी ! यह छौंर बढ़ा होकर हमारे वंश का नाम रखेगा। .
User Reviews
No Reviews | Add Yours...