पाइअ सद्द महण्णवो | Paia Sadd mahannavo
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
39 MB
कुल पष्ठ :
1038
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रथम संस्करण का उपोद्धात
जो भाषा अतिप्राचीन काछ में इस देश के आये लोगों की कथ्य भापा--बोछचाल की भाषा--थी, जिस भाषा
भे भगवान् महावीर और बुद्धदेव ने अपने पत्रित्र सिद्धान्तों का उपदेश दिया था, जिस भाषा को जैन और बौद्ध विद्वानों
मे विविध विषयक विपुल साहित्य की रचना कर अपनाई है, जिस मापा में श्रेष्ठ काव्य निर्माण द्वारा प्रवरसेन, द्वाल आदि
पकिसे कहते हैं ? महाऊथियों ने अपनी अनुपम प्रतिभा वा परिचय दिया है, जिस भाषा के मौलिफ साहित्य के आधार
प्राइत किसे कहते हैं? _ सस्झत के अनेक उत्तम ग्रन्थों की रचना हुई है सस्क्ृत के नाटक ग्रन्थों में सस्ट्त भिन्न जिस
भाषा का प्रयोग दृष्टिगोचर होता हे, जिस भाषा से भारतवर्ष की तर्तेमान समस्व आये भाषाओं की उत्पत्ति हुई है. और
जो भाषाएँ भारत के अनेक पदेशों में आजक्छ भी बोली जाती है, इन सब भाषाओं का साधारण नाम दे प्राइुत, क्योंकि
ये सब भापाएँ एस्माय आर््स के ही विभिन्न स्पान्वर हैं जो समय और स्थान की भिनता के कारण उत्पन हुई दूँ। इसीसे
इन भाषाओं के व्यक्ति-बाच 6 नामों के आगे “्राहृत' शब्द का प्रयोग आजतऊ ऊ़िया जाता है, जैसे प्राथमिक प्राइत,
आप या 'र्थमामधी प्राहत, पाडी प्राहृत, पेशाची प्राकृत, शौरसेनी प्राकत, महाराष्ट्री प्राकृत, अपभ्र श प्रामत, हिन्दी
प्राकृद, बगला प्रकृत आदि ।
भारतपर्प की लर्वाचीन ओर प्राचीन भाषाएँ और उनका परस्पर सम्पन्ध
भापानत्य के अनुसार मारतवपे बी आधुनिक फ्थ्य भाषाएँ इन पॉच भागों में विभक्त की जा सकतो है --(१)
आये (00५५), (०) द्वातिंड (075श6197), (३) मुण्डा (४७०१७) (४) मन् ख्मेर (1४07 दगा९०) और (५) तिब्बत-
चीना (110७॥0 0क170५6)
भारत जी वर्तमान भाषाओं में मराठी बंगला, ओडिया, पिद्दारो, हिन्दी, राजस्थानी, गुजराती, पय्ादी, सिन्थी
और काइमीरी भाषा आये भाषा से उसपन्न हुई हूं। पारसी तथा अग्रेजा, जमेना आदि अनेझ आधुनिक युरोपीय भाषाओं
की उत्पत्ति भी इसी आय भाषा से दै1 भाषाणत साहश्य वो देखजर भाषा त्त्ज्ञात।ओं का यद अलुमान हे क्लिइस
समय विच्छिन्न और बहु दूरबर्ती भारतीय गये भाषा भापा समस्त जातियाँ और वक्त यथुरोपीय भाषा भापी सक््छ
जावियों एफ द्वी आये-बश से उत्पन्न हुई है. ।
तेरगु, तामिछ और मल्यार्म प्रश्नति भाषाएँ दाबिड भाषा के अन्तगेत हैँ. कोल तथा साँथाली भाषा मुण्डा भाषा
के अन्तभूत दे, सासी भाषा मन्ज्मेर भाषा क्र और भोटानी तथा नाग्रा भाषा तिव्यत चीना भाषा का निदशेन है ॥ इन
समस्त भाषाओं को छर्त्पत्ति ऊिसी आयें भाषा से सम्बन्ध नहीं रखती, अतएव ये सभी अनाये भाषाएँ दूं। यद्यपि ये
अनाये भाषाएँ भारत के द्वी दक्षिण, उत्तर और पृ भाग में बोलो जादी हूँ तथापि अग्रेज़ी आदि सुटूरनर्ती भाषाओं के
साथ हिन्दी आदि आये भाषाओं का जो बश गत ऐस््य उपल>-व द्वोता हें, इन अनायये भाषाओं के साथ वह सम्पम्ध नदों
देसा जाता & ।
थे सब कथ्य भाषाएँ आवक्छ विस रूप म प्रचल्ति है, पृर्वेशल में उसा रुप मे न थीं, क्योंकि कोई भी कव्य
सापा कभी एक रूप मे नहीं रहती । अन्य वस्तुओ की तरद्द दसता रुप भी स्वेदा बदलता ही रदता हे--देश, वार अं।र
व्यक्तिगव उच्चारण के भेद से भाषा का पारवर्तत अनियाय द्वोता हे । यद्यपि यह परिवर्तन जो छोग भाषा का व्ययदार
करते हैं. उनके द्वारा ही द्वोता है तथापि उस समय बह रुत््य में नहीं आवा। पूर्वशाछ थी भाषा के सरक्षित आदश क
साथ तुलना करने पर बाद में द्वी बहू जाना जावा है। प्राचीन काछ बी जिन भारतीय भापाओं के आदर सरक्षित हँ--
जिन भाषाओं ने साहित्य में स्थान पाया है, उसवे नाम ये द--वैदिक सस्दत, छठीफिक सस्छत, पाली, अशोऊ लिपि तथा
उसके बाद वी लिपि की भाषा और प्राइन भापा-समूह। इनमे प्रथम वी दो आपाएँ कभी जन साधारण की कथ्य भाषा
नथीं, केचछ लेख्य--साद्वित्यिक भापा-ही थीं। अचशिष्ट भाषाएँ क्थ्य और छेख्य उभय सर्प में भ्चल्ित थीं। इस
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