जैन लेख संग्रह खण्ड 1 | Jain Lekh Sangrah Khand 1
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm, धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14.84 MB
कुल पष्ठ :
332
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पूरण चन्द नाहर - Puran Chand Nahar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)- हमारा कि कु करनकिरिअका नर अर जबरन नमन दर ७ ताक मकर कयलमतर वेकललवगटन की न नलन% न# हि अभ ए
के लकी ताल लनिसैलकक दे विद नल ेलिन फरार है. न चल जा जे कर. लि ही
1 अवामनावकारिकेय, कमा. की! वि न हा नकवभकर ज-औत, कान, न कि न्ज्ल ड सन
.
के थ ०. ही
उकककरननत / लव बन: नागरिक कपनमंपपपए जा कैच की
' कतार िनियागफागर रे रषि नक-ालाकुदरि.ापानग्यददलननरवग... की चना: कआ चाके' कि न के का मद ष् कली इक स्व नल कैल पार कलर नेक चलरीनरीनफे के है अदा है. अत मल ारनलसवलबान भी हर का वि
का सवाल, कि शाप व: गे डर
। दी
है रु लिपधन्ान्कन्न्य& मी लि. कक सनकनदयनथकनपी. अ सननननापकप ललसिाणात ।कच्चानरकाचष्भ७५वर ैबन्यप्वककन्यवक हज हट शक वे थे नए सलर्-बनरवियककेकलिनलपटर अयल भि ब-धयवगकिण्जी कि अनगनककनयराब्ण्यरद अयनस 'नन्यलसपरययक ! गा िमससन
न्यकाियि-कट #नननलपलिरिसं जानी करनिददा दपलदादववादयावपवानन
कफ फिनलस्प यम फिानथिर नय्यसणमस भिननकरननयाम्यम्मनर (ाणयाणवाणियाजिापाा 00889 घिरा चि अर सका ल्म्सकानव्प्रामतयरी नमक नम उन कौन # ऐसलगं हे काल कनितीिक ििय फिट नया केलक क वे? के कतनन्ज़ाचाकक-
बयान |
दा उन
१. अन्य पगययान्यमावन्यामामरीया की निक
ट
लय, द्वागा-ायरयंतलनावेदतालायनातपतरदतवयतनततपतनानदन्यनगधा द्ामणतााथतयायमयलदेदन्यनान ललमलीगीएएतएएं
|
ब
ही
*
जज
हू... ४ दि
१ ज च्का
ऋ का
मं. , रद है
भू हा हा
अ न
थ थे भ श न
है य
बश न
जा
थक च् चल
भय
जन रह पद पथ की जे
है
दर ते
हे के
1
थी «
ड्
च + ह' |
श्
व वो
रह श्दु ले * ऋ. जि
). ल न; दि
न्कक फुं द्ट थ
१ 1
१ । 1 1
1 ्ठ
बन हि |
रद ्
कर
कं ग
मै री न री
है 7 ,#. कल
हक की कं दि
श दर के
भ श्र भू
व श् दर रू
लक न च
ही ,
जी के
दा कौ भा बी पसें ७
जि िवलिविव कपल जार
७. ७याारकिदम हू चली श्ध्द वश
द मय द् कि
जि
के हर
|
दर
न जे
्ि
ही मे
है श
कगह * सन. बैक.
थे
जोश
थी का तिनत ने
है...
है
५ अ# «.
कप नयी धवन ली न
बन्नी
कश्कीी न न
ह् कल नव जग
न भ् थ हे हे हि
न
सप्प्न्ट्ड
न
ठुडडटटटट
हि
हि
रू
|
के जग भर
ही कि पं ”
नस
डर बदन
कह
न
डे
दर के
् न
ही थं
कि
रा
न कम
दि भी
गे
||
भू हबौली
न्थ
ऋ
चर
न
धर
ब्न्ह
हि
-्
न
कर
ष्
क्र की नर
कि:
लि
नर
दी
हे दंत
नव नदसप गा,
6६. है
भर के
भू, मै.
ब
चझ
अनकपाया .. “हिना ए,
*.. द्उ सदर
वतन निवासी
तक
भर
थ्
नि
अगर
जन न घिरे
उमा
हि
दर
हे न 4
रो डे
ही
म्ॉ
हि
है
चै
श न
भले
८
1
न
थ
दा च्
.*ै-'दक
। डा
कि न मद बे युदप्र
न
हा
श्ै
कं हा
के का
/.
डे
कक
ह
शव
ब शा
डे चर
4 धर
भ कु. «का दर
ह्त
लव जद #
निननि िं नमः
री कं. 9
थे
च्ि,
मी
च्व्द
बम कर
नयी
2
प पकाम्य्यन सकल:
की
ही
मी
की हें .
१ कलम मिकनया हां पूछे. था हु
जप जेप्स्डट
भ्प्द
पड
कक बह
्ि मर नल :
नव 2,
कि 2. जमा दर
चुल्टूली पता श ः झ थ
बन्यहन््पग ६ रस दे न डर न *
कनन्न्ल्च्स््ट्ट्ल्ल्ट्टटट्ड वथलनू्टडटटटटटटट सन ्च्ल्ल्ट किया
च्
User Reviews
No Reviews | Add Yours...