श्री भद्रबाहु चरित्र | Shri Bhadrabahu Chritra

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Shri Bhadrabahu Chritra by उदयलाल काशलीवाल - Udaylal Kashliwal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १९) अब तो बही पयु पासन नाम कुलदेव कहलाने लगा | बाद शत वस्र धारण कर उसकी पूजन की गई तभीसे लोकमें श्रेतांबर मत प्रख्यात हुआ | # यही दोनों मतोंके शास्त्रका भिद्धांत है। इसमें क्रिसका कहना सत्य है तथा कौन प्ुरातन है वह जरा पयालाचनसे आगे चलकर अवगत होगा । दिगम्बरियोंकी उत्पत्ति बाबत खतांबर लोगोंका कहना है कि ये लोग बिक्रमकी २ री शता- व्दि्में हुय हं। अस्तु, यदि थोडी देरके लिये यही श्रद्धान कर लिया जाबे तौभी उसमें यह सन्देह कैसे निराकृत हो सकेगा श्वेतांबर भाइयोंके पास अपने ग्रंथोंक लिख हुये प्रमाणऋ्रो छोड़कर ओर ऐमा कौन सुर प्रमाण है जिससे सवे-साधथारणमें यह विश्वास हो जाय कि यथाथमें दिगम्बर मतका समाविर्भाव # हमारे पाठकोंकी यह धनन्‍्देंद्र हैगाकि-भद्रवाहुचरित्रमें तो स्थूडाचारय मारे गये दिखे हें छोर भावसंग्रहमें शान्त्या बाय स्रो यह फक्क क्‍यों ? मालूम द्वोता है कि--अन्त्याचायहीका अपर नाम स्थूडाचाय है क्योंकियह बाद तो दोनों प्रन्थकार ने मानी है कि- शधतांबर मतका संचाढ॒क जिनचम्द हुआ है ओर उन्होंने दोनॉछ। उसे शिष्य भी बताया है। दूसरे दशेनसारमें भो शान्ट्याचयेके शिष्य जिनच-्ट्रके द्वारा दी खतांवर मतही उरपत्ति बतढाई गई दै और यह प्रन्थ प्राचीन भी अधिर है| इसढिये पारी खमझमें तो स्थूडाचायेक्ा ही दूमगा नाम शान्यचाये था, ऐश्वा ही जध्ता है ओर न ऐसश्ा होना असम्भव दी है |




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