तत्वार्थसूत्र | Tattvarthsutra

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Tattvarthsutra by पं सुखलालजी संघवी - Pt. Sukhlalji Sanghvi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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«- बीस «- इन्द्रियों की संख्या, उनके भेद-प्रभेद ओर नाम-निर्देश इन्द्रियों के नाम ५७ शुन्द्रियों के ज्ञेप अर्थात्‌ विषय ' इन्द्रियों के स्वामी अन्तराल गति सम्बन्धी योग आदि पाँच बातें योग ६३, गति का नियम ६४, गति का प्रकार ६४, गति का कालमान ६५, अनाहार का कालमान ६५ जन्म ओर योनि के भेद तथा उनके स्वामी जन्म-भेद ६७, योनि-मेद ६७, जन्म के स्वामी ६९ शरोरों के विषय दरीर के प्रकार तथा व्याख्या ७१, स्थूल-सूक्ष्म भाव ७१, आरम्भक या उपादान द्रव्य का परिमाण ७२, अन्तिम दो शरीरों का स्वभाव, कालमर्यादा और स्वामी ७३, स्वभाव ७३, काल्‍लूमर्यादा ७३, स्वामी ७३, एक साथ लभ्य शरीरों की संख्या ७४, प्रयोजन ७५, जन्मसिद्धता “ ओर क़ृत्रिमत्ता ७६ बेद ( लिंग ) के प्रकार विभाग ७८, विकार की त्रतमता ७८ आयुष के प्रकार ओर उनके स्वामी अधिका री ८० ३. अधोलोक-मध्यलोक नारकों का वर्णन नरकावासों की संख्या ८५, लेश्या ८६, परिणाम ८६, धरीर ८६, वेदना ८६, विक्रिया ८६, नारकों की स्थिति ८७, गति ८७, आगति ८७, द्वीप-समुद्र आदि की अव- स्थिति ८८ द्वीप ओर समुद्र ८९, व्यास ८५, रचना ९०, आकृति ९०, जम्बूद्वोप के क्षेत्र ओर प्रधान पर्वत ९०, धातकीखण्ड ओर पुष्कगरधंद्वोप ९१, मनुष्यजाति का क्षेत्र और प्रकार ९२, कमभूमियाँ ५३, मनुष्य ओर तियंत्रों की स्थिति ९३ ५८ ६७० श्रे (९७ द् ८ <८रे ८८




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