पचपन कहानियाँ | Pachpan Kahaniya

Book Image : पचपन कहानियाँ  - Pachpan Kahaniya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मेरी घोड़ी से आँख बचा कर चुपके से वठ जा उस ने ताएी में पाव ही रखा कि तौगा उलार हो गया कर मुखे सारा वल बम पर ही बठना पड़ा । बम पर टगा हुआ मै बदोका रोद तक गया । सवारिया के लिए कसी-कभी बडी जान मारनी पड़ती हू 1 रे यहा ता हर पड के नीचे स्कूटर खड है। स्कूटर और टोकरिया उठाये छाकरें। चार पैस दो और कजर कोस भर पूरे महोने का राशन उठा कर्‌ है जाते ह। बेटा यहा तेरी दाल नहीं गरने को । वह देख सामने से सवारी निकली और सीधा स्ूटर में जा बठी हू। मीटर का नम्बर देख रहा ह। एक तरह से ठो ये लोग सच्चे हु । मीटर देखा और चल दिये । मीटर देखा और पते गिन कर दे दिये। ताँगे वालों से तो कितनी कितनी देर लोग भाडा त वरते रहते हू । चछ बेटा यहा से चठता बन । अपने अडडे पर हो चलते है । देख एक शौर बाबू निकला हू और स्कूटर को इशारा कर में बुला रहा हू । तागे में बठना तो यह लोग गवस समझते हैं । खायें अपने खसम को हमारी रोजी कोर्ट नहीं मार सकता 1 च बेटा पते भडडे की तरफ चला चले । मे भाड़ा त करने की बात कर रहा या । आाजकरू हो पद पी किसी को नहीं आता । बात करते हू जसे बोई लू मार रहा हो-डेंड रुपया मिरैगा चलना हु तो चला कोई घात॑ भी हुई । उन दिना जिस डेढ देना होता वह एक से शुरू करता । हमे भी पता होता था कि इसे आख़िर डेढ़ रुपये तक आना ह हम दो रुपए से वाठ चलाते और फिर करते करते फसला ढेढ रुपये पर हो जाता । और यूं उघर एक रुपये से ढेढ रुपये तक चढ़न में और इघर दा रुपये से ढेढ रुपये तक आन में उमानें भर की बातें होती । मण्डो मे भाव सखवारा में छपी खबरें मौसम का हाल हि दू मुसलिम इत्तहाद वो चर्चा । भाव त करन के भी लोग के अलग-अलग दग होते हूँ । बई सवाशिया ता अपना जगह खड़ी दूर से हा चात बरती हू। कई ताँगे के पास भा कर छत की कमानी पकंड कर वात करते हू । कई ताँगे को सीट पर वठ कर भाडा ते करते हु । कई तागा चलने पर सौदा गुरू वरते है । कई डिवाने पर पतेच कर अपन) मन मर्डी कै पैसे होगे वाले वी. हपेशा पर रखते हू और फिर पाँच पाच दस-दस पसे कर के जेव में से निकालते जाते ह । ताँगे वाले को हमेगा कोतिश होती हू कि वहू चार पे दपादा बटोर है सवारी को कोशिश होठी हू कि वह चार पसे वचा ले । बयां बेटा पानी पिमेगा ? तुझे प्यास लग रही हागी। आजकल होश ढूंढने के लिए भी कांस भर चवरर काटना पडठा हू । पहले ता हर संदक पर हर वोने में हौ् बन रहत थ । भंगर के राज में ता ताँगे वाला क॑ लिए ववाटर वरे थे सब वे शिए न सही पर अंगरज़ का हमारो क्क्रि तो थी । अब ता ठीगे वी काई पूछ हो नहीं । इन स्वूटर बाल न बटादार बर दिया हु । रावल्पिडो के माप मौज में था जायें तो सदारो को मुफ्ठ विठा कर लू जात हैं और रास्ते में परायी औरत से मीठी मीठी थातें बर रंते है या फिर सामान उतार रहो सवारी थी कोई चोद खिसवा लेंगे ता ग्दाजा नहीं मरा




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