निर्ग्रन्थ - प्रवचन | Nirgranth - Pravachan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
442
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१६
जे पृष्टाह उद्वमखान
तो समो सब्वभूएस २६७ [ अ्रन॒ुयागद्वार सूत्र]
त्री सहस्स सदस्साएं ७ [उ, ञअ. ६ गा. ३४ ]
हुं. 9. .-&
डडरा घुड्ढाय पासद्द २४० [सू प्रथ,अ.२उद्दे १ गा.२)
डहरे य पणे बुहृढ य २४५८ [स्,प्रथ, अ. १३ गा. १८]
ण «४ ५.६
ण्घ्या गम भेहाची ३४४५ | उ.अ, १ गा. ४५]
ण॒चित्तातायंप भासा ८७ [ उ, अ, ६ गा, ३० |
णरगेतिरिफ्खजोशि ४८ | ओपफतिक सूत्र ]
णा रफ्खर्सासु गिज्कि. १३० [ उ, झ, ८ गा, शैरू |
त े
तंचेव तव्विमुक्क ७२५ [ ज्ञा, अ,. ६ |
तश्रो पुद्दे आरयेकण रदे३ [उ, ञअ. ५ गा. १९ |
तथ्रा से दंड समार्भइ २३१ [ उ. अ, भू गा, ८
तत्थ ठिच्चां जहाठाएुं २२७ [ उ. अ. ३ गा, १६ ै
तत्थ पंचचिदं नाणं ७६ [उ, अ, शू८ गा, ४ |
तम्दा एयासि लेसाणं २१४ | उ, श्र. धेढ गा, ६१)
तवस्सिये किसे दंत, १६० [ उ, अ, २४ गा, १० ]
तवो जाई जीचो जोइटाणं ७५ [ उ. अ- १५ गा, ४७ |
तद्दा पयणुतराईय. २०८ [उ. अ, ३४ गा, ३० )
तद्दिक्ाएं तु भावाणूं ६३ [उन अ. श८ गा. १५ |
संहेव कारण कार ।ति १८४ [द, अर, ७ गा. १९' |
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