निर्ग्रन्थ प्रवचन | Nigranth Pravachan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Nigranth Pravachan by चौथमल जी महाराज - Chauthamal Ji Maharaj

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about चौथमल जी महाराज - Chauthamal Ji Maharaj

Add Infomation AboutChauthamal Ji Maharaj

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(1७) ~~~ संगोषन मी कएने क पूरा पूरा प्रयल छिपा जायरमा 1 अन्त सें एक निवेदन और है, कि सगवान, कौ सापा, जिस में कि उन के प्रव१र्नो का सप्रह ससार को आज सप्राप्य है, भर्द-मागघी हैं। हो के मारतबर्प के अविफांश অল साधारश की बोलबाश कौ मापा से विशकुश दी निराशौ है। फिर, उठ के द्वारा आस्म-तत्त्य फ्े दोष को करामेषाशा भिपय भी स्वये मान्‌ गूड ओर घम्मीर है। सह सब कुछ होते हए मौ, प्रस्तुत अनुबाद ष्टी माचा টা सश्स से भी सरह बनाने का मरसक अयक्ल किया गया है । इमें पूरी पूरी आशा ओर विश्वास है, के पाठक इस से यथोगित टाम खद कर, हमारे उत्पाद को बढ़ाने का सरप्रबस्ग करने की कृपा दिखा्बेमे । फम्त ता» +-१-१६३३ ई० सबदाम सौमागमत्त मदता मास्टर मिश्रीमल प्रेप्िडिएट मत्री झी जैनोद्स पुस्तक प्रकाशक छमिदि, रतलाम । সঃ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now