भार्गव स्टैण्डर्ड इलस्ट्रेटेड डिक्शनरी | Bhargava's Standard Illustrated Dictionary

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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; ' डनत “ पंविकिटि- गा #४:: हरा, राह देखना, टिकसा, दुद अर). सटअंतेव्त:, निवासी नददग, ) बी, _टराका0८00,. स्थायी पिया सैविसिदान ( -दरूंग-लि )-दबी, टावर षि, तो से, स्थावी रूप से । नींबू -इ-गेंख-#, » तेज सम्मंते, माया, ही की सदी, सखी ।. पेंविलिटीसू - #.. #/.. छंट 0नाट5 फसल शभध, मानसिक शक्तियाँ । 8्फीपिटांटत। फूण्छदा, डपहवाईड्क स्पफूडटाए, ८टिएटधाटव5, 501, घाटाा91 . िप्काता:: अधिकार, शक्ति, योग्यता, कुशलता, पवीणता, बुद्धि कि रे डे शैफांजदुच्ाल्‍्डांड-रिनिभोजेंनि-सिस-# 8छ0पद८0०5 हस्ट्ानपंद, भाकरिमक जन्म ; ठैछं०ट्टध्छपंट हिंद - इक ) दीं: आाकरिमक जन्म सम्बन्धी सैफएटच्सपंडा (-जेन्‌-इस्ट:-स्‍. इस सिद्धांत में विश्वास करनेवाला । मैमिस्ल--ौंबू -में वदू-छं, तत5८पन७1८, ठेटूप्थछेट्ते 095८. मम, पतिंत, नीच ; ठैभूब्प्पंणा (-जेंकि- शान, औिंटटघाट७6 (-जेंक्टिने सु). 98560055. नीचता; तछव्प्घंग (-जेक्ट्-छि)-सव, नीचता से। सैतुपसस्ाा्ट-मींच-जू-डि-वॉटू-ह.. (0 द्ाश बफ श्र न एितेडापाट्पाष वियाए 00८ (0 000८. विधानत निर्णय देकर एक का माल दूसरे को दिला देना मैफकएंए-द, 5८८ है पट, सैपुंपहट-भींपू-जूर्‌-र है, (0. इ८0प्रत0 011 08110 (0 इदएप्ताअप्ट, शपथ खाकर मस्वीकार करना; ; हा (अर) 09८ भाष0 कंगुंपाट5. दापय खाकर भरवीकार करनेवाला; (जूःरें '-यिनू )#, दिपए एव इटापाटांब्रतता (९1 020. झपथ खाकर किसी सिद्धांत का त्याग ; मैु्सटपाडाए ( -मंन्द्र ) -ह. टएएपटं20100 (1 दा सॉपभपूवक परत्याग । मैिद्िटा(टि-भींब-लॉकू न्डेट्रूनश द. 0 भटक 0 | सद फर्प्मश: छाती का दूध पिलाना । सै.फानटाका)-छी वन लींकु-र्ड न्नुू-क, छह ८ 0 कलम शिएा फट उप0पिल'5 िस्‍्मभ, माता का दूध पिलाने की क्रिया । मैनधंता-मींब-से '-ानू - &. घाट कटरठप्था ता ीषडि पिध्त पीता फुब्श 0 900४, चीरफाइ बरसे, शरीर के क्लेशकर भाग को प्रथकू करना 1 मै. डपिपट-छींचू-लें- टित- 8 पट किषिफ ट्ट दा। दान बम जपादान कारक,संस्कृत में पन्‍्चमी विभानि । मैन 2०-भीं-ग्लेजू स्व, 00 हिवट, छपिफिटापापूए, ट्ड- साहते, जलता .. हुमा प्रज्वलित, . ग्रकाधा! पूर्ण शत्तेमित भवरथा में । मा मै. 01९ -यूदू पद, (दा, फट, उमर, मैट | शल्य, टॉटााल्ट, &घाधि। ८णएफूष्प्टप, पचिेष ला जय सै. जुंघानघं0दरी | बुद्धिबाला,चतुर,प्रबीण,यीग्य ;ै जिंट-90तर०वे-ब्ढू-.. एई ॥ हप्त्०0हठ: ००ण800प्रतं००, पु शारीरबारा 1. रल- न्बूलू-पए, मि। छिट, पुव हि बार, मीक,.. रू जल. | योग्य” भरे. का. प्रत्यय, जो सं्रा, |. विशेषण तथा क्रियापद में लगाया जाता दे | मै छाटटरबधट-सीं-ब्लि-गेट्रिश, ४. १09 उल्पाते उबर: | मस्थान कराना, भेजना | 1 ७12फल95- बूल-नेसि-श. . 8ॉपंडिए! 0658, ंद्ू0घड, | चतुराई, म्रवीणता, निषुणता । | &िट्फुब्लनमींव-ेंपू -सि +य. 10छा0058 एव. धांद्रि६, | दृडिशुन्यता, अन्धापन 1 | 2छाण्त्यव-गींब/-लो-केंद्रेश, /. 10 10 _0प६ 08 | कास्ट किरिये पर देना ; 3ै6910८बपंण्ण (के 'नशनु | ना. बल का 1टप्तंप्ट पा फास्ट, किसी बस्तु को किराये पर देने की क्रिया 1 | 910णजा-ए-ब्दूमू-म्यण, 10 2 5द्वाइ्ट 04 0000, फूलने की अवस्था में । ! हछाघटणा-बींबू-लु-ऐन्ट्-वदीं, पाघड0्ठ 02 टॉटतातन । पट 9 ॥तृम्तेए, तरल पदायें (जल इ०) से धोने ' या शुद्ध वरनेवाला | | औै 8३ेपड0-ऐ-ब्लश-दर् दा 2. छिफडीपपछ 5(900.. । लजिनित होते हुए, झेंपते हुए द सै 9िघपंगानमीव-स्यू'-दानु-त, भम्जीधंण्ट ० (6 ! छ०तेए कैट, 9. प्लादाणणगंतषं उ्ट5, बोई ! धार्मिक कार्य करने के पहले झारीर इत्यादि को शुद्ध करना; औैभिएा०ण्कर्क [ नमरू-इ ) न ी ऐथप्मंपिफिड 1० शेजेपघंणा, गरीर को छघुद्ध या पविश्र करने का । कै. 91घ धांण्ानभीचू-लू -थि-मनु-#, घफा फषिएए। उ# ( भमअधत दर्ने, घुषा हुआ पदाथ | कडुन -बिलि-स्दक, 10 दा कट प्राधपारा, योग्य ! से, पवीणता से | कै रिएट्छुनटनभींचि -निन्यें दर, / (०. फंप्त, स्याग: हे करना ; है 900 नग्न न्य, .इटाधधिन 7. टाथ8, (यामे ; है जितिश्टूदाएा [+ जटरू +, 0106 ;. हिए ऐटपाहि का कटा एपएटट5, रयाग करनेबाला 1 ! ठैजिाण्तकाटनसीचि नमो द्ून, /. पता एघां ही एंडिट ;. धर (पर४ एव फिटटड ैदट 3 वृक्ष श्न्यादि की गोडों 7 को काटकर अलग करन! मैएक0ााड] (-शरठप)-मींरू-मॉर -मखू (मस-्या, प्प्टूनापयका, उपएटचदत, एशधशाफ ।. इस12.. असाधारण, रीनि-विरुद्ध, नियम अथवा व्यवस्था कें. प्रतिकू्ड ; शिया दरदपराक ( न्मीद्वू नि « थे. : उदुप्यंडयपा, न्यतिकाम, बिषमता ; है 90119 15 ! मीं-लिनदयी' अदा 9, मसाधारण रूप ; है फिशकापाकि ननॉमि-इट-दीनत, उकपेपाबपीएि', अच्यदन्था । [सैर्णकश्ते-र - बोर नबी, दा कक पा. फिएाएं भएंफंग व डॉ पा. रिएवरा, 3दथर, जहस की छे पर, जहाज या नौका मैं, समीप ; 0 द्वस्‍९ मि0जफे के ही पं ज वे पे द दे ग ् भैप्टच एजू ; वेट देव ; रिट्ण पेंनु ; एि पेनु




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