वाल्मीकि मुनि का जीवन चरित्र | Balmiki Muni Ka Jeewan Charitra

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Balmiki Muni Ka Jeewan Charitra by भाई परमानन्द - Bhai Paramanand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चलपपतभाराधपपापरथ्था्चलििपएलचलपपपपदलदत . शोये से न्याय की स्थापना और निषेठों की रक्षा करता था । उस का यह भी काम था कि युद्ध के छिये सदव तंयार रहकर भीतरी ओर बाहरी शत्रुओं से समाज वगे रक्षा कर सकें । जिस प्रकार बाझाण की बुद्धि शत्रिय का .'बाहुबल समाज को सवा मे अपेण था उसी प्रकार वद्य ..... का घन आर शूद्र को सेवा समाज के छिये न्यॉछावर थी। रा हि ..... .' इस दृष्टान्त को समझने के लिए पुराने समय की. ' एक कहानी दी जाती है । उस समय के लोग सी तरह बंटे हुए थे । उच्च श्रेणी के लोगों में घमंड उत्पन्न हों गया आर उन्होंने मेहनत ओर मजदूर करने वाले नीच करने वाले लोग बहुत तंग आगए तो उन सब ने मिछ कर शहर छोड़ दिया और कुछ दूर की एक पहाड़ी पर जा बसे । उनके चंठे जाने से अमीर लोगों के सब काम बन्द हो गए । उनके लिए न कोइ मकान बनाने बाठा.




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