मैं - मेरा अष्टावक्र | Main Mera Ashtawakra

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Main Mera Ashtawakra by हरीश भादानी - Harish Bhadani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ता लह्ठलहा ही तग॑ यह मन तुझ से नही अपन आप स कहा ह रे कभी-कभार मे भी बोल लिया करू अपने-आप से तरी छाया जा पडती रहे मुझ पर हा ता बात यह ह बधु! मुझ बातेरी की एक पूछ तो पकड़ ही ली वूने यू टुच-पुच-द्ुच-पुच ही बोलता रहा न मुझसे सच कह्टू. चोटी म न सही अपने इस अलफिया झव्बे म ही गाठ बाध कर रखले- खूब गहरी छनेणी अपन दोनो म॑ नाखून भी बढ जाएगे तेरे में तो देखता ही रह जाऊगा लीर-लीर करने लगा हे तू अपने आगे झूलता तिरपाल और यू देखे है अपने वाहर को रीझ जाय कोई मांटियार' पूणव्ठ? की पदमणी पर मम तूने मुझ अपना स्टूडेट समझ लिया है क्‍या बोले ही जाए है प्रो सरकार की तरह अरे आज के किसी मास्टर को देखा है! १ नाजवान 2 सौन्दर्य के लिए प्रषिद्ध पश्चिगी गजस्थान का क्षेत्र म॒मेरा अछवक्र/17




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