इस्लाम का विष - वृक्ष | Islam Ka Vish Vriksh

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Islam Ka Vish Vriksh by आचार्य चतुरसेन शास्त्री - Acharya Chatursen Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्र खाज्ीफा-उमर भेमे । झम इयू झवीदा 'मपनी सेना सहित फरात सदी पर धुल बाँधकर पार हो रहा था, रुस्तम के घनुषधारियों ने वाण-यर्षों भारस्भ कर दी । इससे बहुत से मुस्ज्षमान मारे गये । थयू अग्रीदा घोड़े से गिर गया भौर हाथी से कुचला जाऊर सर गया। इसके पाद सेघा भाग निफक्नी । ज़लीफा उमर १े यह सुनकर फिर एक यद़ी सेना मस्ना की धथघी जहा में सेमी ! मस्ना ने ईरानी सेवाउसति फो इग्व युद्ध म परास्त करके सार ढाक्षा और ईरानी सेना छिन भिन्‍्द्र हो रहे । इसके बाद साद इस्ने झवि विकास ६ इज़ार सवारों सद्वित मंदीने से चक्षा । भौर सारे में ही लूठ और स्थ्ियों के साक्ष्य से उसके पास ३० इग्ार सवार सस्ता तक पहुँचने- पहुँचते हो गये । इसी यीच मे मस्‍्ना मर गया भौर उसकी पत्मी को साद ने की ६० पर्ष का था, भपनी स्त्री बना लिया। इसके बाद रुस्तम से युदूध हुआ, सुसक्षमा्मों फो और भा सहायता मिज्ष गद्ढे । भारी धमासान हुप्ा और रुरतम फा सिर काट लिया गया । ईरापियों की पराजय हुएए। उसकी ३० इशार सेना कद गई । हंस युदूध में मुसलमान भी ७ दज्ञार मारे गए । यह युदूध प्रासदिया में हुआ था ! इस विजय के उपलष्ष में फरात और दजता नदी के संगम पर बसरा संगर खब्ीफा उमर की श्राक्षा से बसाया गया प्लो एक सुप्ततमान की गुद्याम के तौर पर दिया गया शा। एक दिन मह़दगुर्द की लदफी ने खिद़की से उसे देखझर कददा--“तुसम पर क्ानत हैं. दि अपने मुल्क, बादशाद और घर्म के लिए कुद नहीं कर सकते ।” फिरोज्ञ को शाहज्ञादी की बात घुम गई । बह सौका पाकर मस किंद में घुस गया । प़क्तीफा गदन झुफाए नमाप पढ़ रहा था । उसने उसझी गदून में छुरी घुसेद दी । बहुत से मुसलमान दौड़ पढे। वद € » को मार कर स्पयं भी मर गया। ख़लोफा उदा धावों से ७थें दिन मर गया। रूष्यु झे सस्य उसकी भायु ६३ यष की थी । उसके समम में सोरिया मिश्र, पैसे स्शइन भौर ईरान मुसलमानों के ह्वाथ मे आप्‌1 ३६ इजआर मगर और हिल घीसे गए, ४० इलार सम्दिर भौर गिरले डाए्‌ गए भौर कई जास रौर- मुस्लिम क़्रल किए गए




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