गोल लिफाफे | Gol Lifafe
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about हरदर्शन सहगल- Hardarshan Sahagal
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ग्रगति
एक हजार एक सौ एक या इक्यावन गालियाँ खा चुकने के बाद लच्छ
नागयन के मुँह से बडी मुश्किल से इतना हां निकल सका “महाराज ”
उसको ज़बान डगमगा गई । वह आगे कुछ नही बोल सका।
महाराज ने समझा यानी प्रजा के अन्तर्मन के भावों का अन्दाजा लगाया
कि लच्छ मागयन जरूर यही कहना चाहता है कि उसे सिर्फ एक हजार एक
सौ एक या इक्यावन गालियां ही क्यों दी गईं जूते क्यों नही मारे गए।
महाराज ने फौरन हुक्म जारी कर दिया कि लंच्छ नागायन को गिन गिन
कर एक हज़ार एक सौ इक्यावन जूते लगाए जाएँ। क्योंकि स्वय महाराज
भारने की तकलीफ गवारा मही कर सकते थे गालियां तो मजे से बैठे बैठ दी
जा सकती थी लिहाज़ा उन्होंने दी थी। अब उन्ही की देख रेख में लच्छ
नागयन की एक हजार एक सौ एक या इक्यावन जूते मारे गए।
'इतने करो जूते खाने के बाद भी लच्छ नाशायन जिन्दा है, यह खबर
दूर दूर तक शहर के किनारे लॉघ गई।
शहर के दानिशमन्दा के खयाल क॑ बमूजिब क्योंकि लच्छ नारायन
इतनी गालियाँ और जूवे एक साथ खा चुकमे के बावजूद अभी तक जिन्दा था
तो यह इस बात का प्रमाण था कि लच्छ नारायन पक्का ढीठ, वाहियाव और
पक बेहया किस्म का इसान था वरना वह इस वक्त तक जरूर मर चुका
1
मगर जब राज घरने और इर्द गिर्द के कुछ तमाशवीन तथा आवाश
किस्म के छोकरों ने लच्छ नागयन से साक्षात्कार किया तो वे सारे के सरे
सहम कर दग रह गये ! लच्छ मारायन मे उन्हें बताया वह पूरी तरह से मर
प्रगति ६ 21
User Reviews
No Reviews | Add Yours...