गरुड़ - पुराण खंड 1 | Garuda Puran Khand 1

Book Image : गरुड़ - पुराण खंड 1  - Garuda Puran Khand 1

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जन्म:-

20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)

मृत्यु :-

2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत

अन्य नाम :-

श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी

आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |

गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत

पत्नी :- भगवती देवी शर्मा

श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ ६ 1] जो विभिन्न रोगों दा कारण बूव-प्रेता का प्रसाद सानठो है उसके फचस्वरूप वे भपना उचित इलाज करन के दजाय टाना-टाटरा झौर स्याने (लोसा) लाया के चकरुर मे फंस जात हैं। इसस उनदा पंठा व्यय मे दर्दाद होता है झोर वे थारोरिक कष्ट भी उठ त हैं । इन घारणा वा सून 'परुड-पुरुण' मे पाया ज ता है। उसके दखवें झष्याय मे “प्रेत-पोडा' का वरान करत हुए बहा है *य पराषे घन, परायो पलनो भौर भपने हो सम्बन्धिया को कष्ट देन बाल महा पापि्ठ प्रेवेगण नरक्दास के पइचात्‌ दिना दारोर के भूख-प्यान से पीड़ित होकर सवत्र विदरण क्यि। करत हैं । व भपने हो सहोरर को मार दन हैं भोर इस प्रकरर पितृगण के माएँ का रोध करने याले वन डाते हैं । दे पियों के नाग को मार्ग दे तस्करों को माि झपहरण कर सत हैं । भपन घर य फिर बाकर दे मुत्रो सग मे प्रवगा कर ड ते हैं भोर वहाँ स्पित होकर स्व जनों का रांग-शोक दिया करत हैं | द ज्वर पौर इश्नरा रूप से सागा को बट देत हैं । व जीवित भवस्पा मे भपन कुतत के जिन लोगों से रनह करत हैं प्रेत दनन पर उटटों को पीडा इतने लत हैं । जिसको प्र त-पीड होती है वह नित्द- कम, मस्त्र जप, हाम सब छाड दता है दोपों मे जाकर भी परम झासक्त हो जाना है। प्रेत के प्रभाव से मनुस्य का एसा नाश होता है कि सुभिष मे नो कृपि का नाए हा जाता है शर निनना नी सदूव्यवहार होता है दह सब विनष्ट हो बता है । उनका टूमरों से बलह होन लगता है । अनेक वार माग मे गमन घरते टूए टी पीड़ा उत्पन्न हो जाता है। प्रेत के प्रनाव से मनुष्य हीन इस बरने लगता है झौर उसका सम्पक हान धणी के व्यक्तियों सदी होने लगता है । ह प्रेत के प्रभाव से ऐसे बहुन स न्यमन लग जात हैं जिनमे श्रपनी समस्त सम्पत्ति स्वाहा ही डाती है । चार, अग्नि, राजा द्वारा हानि होती है। कसी महान राग को उत्पत्ति धपते दारोर मे पीड़ा होना, भंपनों रो का सताया जाना--य सभा वाहे प्रेव थोडा के दारण होनी हैं । स्त्रिरो क गभ दे विनाश हो जाता है उनका रजादशन नहीं होना, बे देदा होकर मर जाते हैं




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