फिर मिलेंगे | Fir Milenge
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)की ज 3००० अर
मौके की थी, लेकिन उसके जवाय में दद बात मे थी। द्वाज्ञिर-जवाबी
हर आदमी में कहाँ होतो है ? शायद यह भी एक ईश्वरीय देन है।
कैसी शक्ति है इस गुण में ! कमरे में आ कर छज्िता पति के उत्फुल्ल
सुखमण्दक्ष की ओर गम्भीर भाव से देखने लगी। दो-तीन दर्यों में जब
उसे उसके थ्रागमन का ज्ञान हुआ तब मरईश ने भुस्कराती हुई भाँखों
से रुसकी ओर देखा )
+आज्ञ तो ऐसे ख़ुश हो, जैसे कह्दों गद्ा हुआ ख़ज़ाना पा गये
द्दो!!
बोद खा कर, गस्भोर द्वो कर, ललिता के चेद्वरे की झोर प्रश्नयूघक
इृष्टि से देख कर, घट मोला-- इसका सतलय २?
इसका सतल्व कया सुम नदीं समसते १”
#तुस्द्वारा इशारा माधुरी की तरफ़ दे न १!
/हाँ, हाँ, उसी की तरफ है, जिसकी तारीफ करते सुर्दारी ज़वान
जहीं धकती 17
“जो तारीफ़ के लायक दे उसकी तारीफ़ करनी ही पड़ती है।”
“सारा जमाना तारीफ़ के ्ायक़ दे । अगर कोई नहीं दे तो बह
!
“तुम तारीफ के ल्ञायक नहीं दो, इसका पक खबूत तो यही दें कि
सम पुक ऐसी ख्री से ढाह करती हो, जिसे सुम अमी नद्वीं जानतों (”
“इसमें क्या शक है ! मैं नाजापक हूँ, में राइ करती हूँ, भुरू में
सारे संसार के अवगुण भरे हैं ! किर जव में ऐसी थुरी हूँ, धव सेरे साथ
शादी करने की क्या जरूरत थी है?
“यह मेरे दश की यात नहीं थी १?
“तब ओ धात छुर्दारे दशा की दो, उसे अब कर ढालो ।”
+यस, ज़ामोश रद्दो !? डे
क्रोध से कॉपती हुईं ललिता तेज्ञी से कमरे के बाइर चली गई
नया सिगरेद जला कर महेश कश पर कश खींचने ल्गा। एक झूगढ़ा
समाप्त होते द्वी दूसरा भारस्त हो गया । इस तरह कैसे फाम चलेगा ?
नित्य को इस कुदन, इस जलन का कहाँ अन्त दोगा ? मिसस्त्री में
झट्दनशीलता का ऐसा श्रमाव है, उसछे साथ किस तरद्द चिदांद किया
जामगा २ गहन बेदना उसके सन में उमड़ पड़ी
स्थारद साख पहले की स्टूृतियाँ जाग पड़ीं। एक दश्य सामने
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