क्रियोडींश | Kriyodinsh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
176
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तक
मापादीकासमैत) |... (४५३)
फूषोणि । हुम्बादिवा तथा देवि शान्तते दृत्युक्येडपि
थृ ॥ आकषणे तु मघुना भस्मना कूरकर्माे ।
अब शिवस्रान कहाजाता है । वहयकमेमें घृत और मधुसे
स्नान करावे, ,शांति तथा सृत्युज़्यजप कमेमें दुग्धादिकसे
स्नान करावे, आकपेण करममें मधुसे स्तान करावे, कर कमेमें
भस्मसे स्नान कराये ।
अस्य परिधाणम्-शततोलकमानेन हव्यमेसत्य-
कीतितम् । तन्माने साथिदाचूर्ण-नेंवेध व सुरेशारि॥
बिल्वपर्त तथा एप्प दद्यादशेत्तरं शतम । शांतिकादो
द्ोणपुप्पं बबेश चाभिचारके ॥ स्तम्मने मोहने चेवे
घन्तर कमकाह्यम । विद्वेषोच्वाटने देवि विंजयाप्य-
पराजिता ॥ चत॒दृश्यां तमारभ्य यावरन्या चह्॒शी॥
एकूक कमझो लिग॑ पूजयेद्रक्तिभावतः । अशापक-
सहझ्लं तु जप कुर्यादिनोदिने ॥ उत्ाहे सत्त- किड्लानि
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