हिन्दुस्थान का दण्ड संग्रह | Hindusthan Ka Dand Sangrah

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Hindusthan Ka Dand Sangrah  by बलदेवप्रसाद मिश्र - Baladevprasad Mishr

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ऐक्ट नस्बर ४५ सन्‌ १८६० इंस्वी. से हिन्दुस्थानका दण्डसंग्रह. ---+भ७४ तह 1न्‍458989----- ( जिसको भीयुत नव्याब गवर्नर जनरल बहादुरने ६ अक्टूबर ध्न्‌ १८६०० को स्वीकार किया ) अध्याय पहिला ६. --#ब दी पत-+ . जो कि यह बात उचित है कि, मारतवर्षमे समस्त अगरेजी राज्यके लिये एकह्ी दण्ड अग्रह बनाया जावे अतएव निम्नलित्ित आज्ञा हुई किः-- _ (१) छुद्ध किया गया ऐक्ट ६ सन्‌ १८६१ ६७ व ऐक्ट १३ सन्‌ १८९१ ई० > दंत काका! नो के अनुसार इस ऐक्टका नाम हिन्दुस्थानका दण्डसप्रह होगा और और उसके प्रचारका - यह १ जनवरी सन्‌ १८६२ ६० के आरभसे उन देशोंमें प्रचकित कैलव, होगा कि, जो श्रीमती महारानी विक्टोरियाकों अपने सिंहासनपर बैठनेके २१ वे व २२ वें सालवाले कानूनके अध्याय १०६ के अनुसार जिसका प्रचार हिन्दुस्थानका राज्यप्रबण ठीक करनेके निमित्त हुआ था, अब प्राप्त हैं, अथवा जागे ग्राप्तहों । है नोद-ऐेक्ट न॑० ५ उन १८६७ के अनुसार हिन्दुस्थानका दुण्डतग्नह स्ट्रेट सेटलमेटमे मी प्रच- हित किया गया है। (३) झुद्ध किया गया ऐक्ट ६ सन्‌ १८३१ ई० व ऐक्ट १९ सन्‌ १८९१ उन अपराधोका दण्ड ) ३० के अलुसार-पत्येक मलुष्य जो उक्त देशोमे पहछी जनवरी सन्‌ जो उपरोक्त देशोंमें किये“ १८६२ ६० को या उसके पश्चात्‌ किसी ऐसे अपराधका अपराधी जॉब, हो जो इस संग्रहके विरुद्ध हो, वह इसी सम्रहके अठुसार दण्डके योग्य होगा किसी दूसरे कानूनके अनुसार नहीं | नोट-ऐक्ट नं० ५ सन्‌ १८९८ ई० में यह आजा है कि, जिन अपराधोंका दण्ड इस सपग्रहके अनुसार हो सकता है उन सबकी तहकीकात तथा दूसरी कार्रवाई ऐक्ट फौजदारीके अनुसार की जावेगी 1 7




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