विश्व - प्रसिद्ध युद्ध | Vishwa Prasidh Yuddh

Vishwa Prasidh Yuddh by राजेन्द्र कुमार - Rajendra Kumar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सः 1976 मे उत्तरी और दक्षिणी वियतनाम को मिला कर आज का वियतनाम सः सोशलिस्ट रिपब्लिक एकीकृत राष्ट्र (पाप्॥£ ८०19५) बना। इससे पहले का लगभग 100 वर्षों का इसका इतिहास वास्तव में युद्धों का इतिहास कहा जायेगा। इसका आरम्भ तब होता हैं जब 1867 में कंथोलिक मिशर्नारियों (020८ कांडनं०णवा९ि ) को संरक्षण देने के बहाने फ्रांस यहां आया और उसने धीरे-धीरे 1885 तक पूरे देश को अपना उपनिवेश वना लिया। किन्ह (1९01) कहे जाने वाले यहां के मुल वासियों ने तत्काल फ्रासीसी उपनिवेशवादियों का प्रतिरोध शुरू कर दिया। 1940 में जापानियों ने वियतनाम पर आक्रमण कर दिया और फ्रासीसी उपनिवेश लगभग समाप्त हो गया किन्तु जापानी आधिपत्य अधिक दिनों तक कायम नहीं रह सका और 1946 में जापानी आक्रमणकारियों को पराजित होकर वहा से भागना पडा। जापानियों की इस पराजय का सबसे वडा श्रेय हो ची मिन्‍्ह (1892-1969) की जाता है। देश की मुक्ति के लिए उन्होंने वियतमिन्ह (1९ ४ाश00) नामक राष्ट्रवादी गुरिल्ला सैनिक दस्तो का गठन किया। उन्होंने वियतनाम कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना भी की जो आज देश की शासक पार्टी है और बाद मे वह उत्तरी वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष भी वने। जापानी आक्रमणकारी तो भाग गये किन्तु फ्रासीसी उपनिवेशर्वादियो ने देश के दक्षिणी हिस्से पर अपना आधिपत्य सुदृढ़ कर लिया। यही नहीं फ्रांमीसियों ने उत्तरी हिस्से पर भी अपना आधिपत्य करने की कोशिश शुरू कर दी। उनकी यह कोशिश सफल नही हुई और वियतमिन्ह गुरिल्ला दस्तों ने 1954 में दियेम वियेन फू (2 छोटा शिए नामक स्थान पर उन्हे करारी हार दी। अन्तत जैनेवा में दोनो पक्षों के बीच एक समझौता हुआ। इस समझौते के अन्तर्गत 17वें पैरलल पर वियतनाम को उत्तरी और दक्षिणी दो हिस्सों में विभाजित करने का निर्णय लिया गया। उत्तरी वियतनाम में हो ची मिन्ह के नेतृत्व में कम्यूनिस्ट सरकार गठित हुई और दक्षिणी वियतनाम मे नगो दिन्ह दियेम (चिठुठ जि जरा) के नेतृत्व में राष्ट्रवादी सरकार। उत्तरी वियतनाम की सरकार देश को एकीकृत (एार्९0] करने की हिमायती थी तो दक्षिणी वियतनाम की सरकार इसकी घोर विरो धी। जेनेवा समझौते के बाद फ्रासीसी सेनाए दक्षिणी वियतनाम से पूरी तरह वापस थुला ली गयी लेकिन उत्तरी और दक्षिणी वियतनाम के शासकों का वैचारिक मतभेद और विरोध वढता ही गया। यह विरोध इस कारण से भी अधिक तीब्र होता गया क्योंकि दक्षिणी वियतनामियों में ऐसे लोगो की संख्या काफी बडी थी जो देश के विभाजन के विरुद्ध रहे थे। इसके अलावा दक्षिणी बियत्तनाम में कर्म्युनिस्ट भी सक्रिय थे और उत्तरी वियतनाम के साथ उनकी स्वाभाविक सहानुभूति थी। वे दक्षिणी वियतनाम में पश्चिमी ढंग की पजीवादी व्यवस्था की स्थापना के विरोधी थे। हु




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