बृहजातकम | Brihajatkam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
246
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
अवन्तिका आचार्य वराहमिहिर - Avantika Acharya Varahamihira
No Information available about अवन्तिका आचार्य वराहमिहिर - Avantika Acharya Varahamihira
पण्डित महीधर - Pandit Mahidhar
No Information available about पण्डित महीधर - Pandit Mahidhar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ध्यायः १. ] भाषारयकासाहितम् । (५)
कुमारैका, सकठ कूठा परवीन। नौकामं धीरज सहित, छेखत चित्र
नवीन ॥ ६ ॥ वणज करत मानुष तनू, तसड़ी तौछे हाट । श्रेत वन
माला घरी,तुछा दिखावत बाद ॥ ७॥ वृश्चिक विच्छू है सब, गुप्त
हलाहल सार। बॉबी रंधर छिप रहे, करे अजाने मार ॥ < ॥ कटि ऊपर
मानुष तनू, नीचे घोड़ा ऐन । तीर धनुष करमे छसे, मीढे वोडे बैन ॥ ९ ॥
मृगमुख नाकू और तनु, वनवासी दिन रेन। शुरू वतन भृषण बरण,
जढ विन निव नहिं चैन ॥ १० ॥ खाढी घट कांधे परे, तप्र वीर आधार।
जाओ वेश्या मय सों, झूठा वारंवार ॥ १३ ॥ मच्छी जोड़ा एछ मुख,
धारत हैं विपरीत । जलवासी धर्मी धनी, मीन राशि यह रीत ॥ १२ ॥
यह राशियोंके रूप स्थान, खोये गये दब्यके वतढाने प्रभृतिमं काम
आते ६॥ ५॥
सी
हम ट्कम
क्षितजी सततन्नचन्द्ररावस म्य[|सतावानजा:
सुखुरुमनन््दसारिगुखश्र गृहांशकपाः ।
अजमृगतोलिचन्द्रभवनादिनवांशविधि-
भेवनसमांशकाधिपतयः स्वृगृहात् क्रमशः ॥ ६ ॥
टीका-राशीश, नवांशक, द्वादशांशक का वर्णन । मेष राशिका स्वामी
स्षिंतिज ( मछुल ) वृष का स्वामी सित ( शुक्र ) मिथुन का ज्ञ (बुध )
कर्क का चन्द्र, सिंह का रवि (सूर्य्य ) कन्या का सोम्य ( बुध ) तुछा
का शुक्र, वृख्िक का अवनिज ( मुछ ) धन का सुरुरु (बृहस्पति )
सकर का मन्द ( शनि) कुम्मका सोरि ( शति ) मीन का गुरु,( बृहस्पति)
ला न शक हित हि राशी | |मे० | वृ०मि०क० [सिं० न बू० गत
स्वामी। [म० | शु० | बुध चं०| स्. [बुध शु० मि०|ब०शि०शि० वि०
नवांशक एक राशि के ९ भाग अथात् ३ अंश २० कढा का होता
कक का ऑ
है उनकी गणना ऐसीहै कि मेष सिंह धनमें मेष से, वृष कन्या मकर में
User Reviews
No Reviews | Add Yours...