बृहजातकम | Brihajatkam

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Brihajatkam by अवन्तिका आचार्य वराहमिहिर - Avantika Acharya Varahamihiraपण्डित महीधर - Pandit Mahidhar

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अवन्तिका आचार्य वराहमिहिर - Avantika Acharya Varahamihira

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पण्डित महीधर - Pandit Mahidhar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ध्यायः १. ] भाषारयकासाहितम्‌ । (५) कुमारैका, सकठ कूठा परवीन। नौकामं धीरज सहित, छेखत चित्र नवीन ॥ ६ ॥ वणज करत मानुष तनू, तसड़ी तौछे हाट । श्रेत वन माला घरी,तुछा दिखावत बाद ॥ ७॥ वृश्चिक विच्छू है सब, गुप्त हलाहल सार। बॉबी रंधर छिप रहे, करे अजाने मार ॥ < ॥ कटि ऊपर मानुष तनू, नीचे घोड़ा ऐन । तीर धनुष करमे छसे, मीढे वोडे बैन ॥ ९ ॥ मृगमुख नाकू और तनु, वनवासी दिन रेन। शुरू वतन भृषण बरण, जढ विन निव नहिं चैन ॥ १० ॥ खाढी घट कांधे परे, तप्र वीर आधार। जाओ वेश्या मय सों, झूठा वारंवार ॥ १३ ॥ मच्छी जोड़ा एछ मुख, धारत हैं विपरीत । जलवासी धर्मी धनी, मीन राशि यह रीत ॥ १२ ॥ यह राशियोंके रूप स्थान, खोये गये दब्यके वतढाने प्रभृतिमं काम आते ६॥ ५॥ सी हम ट्कम क्षितजी सततन्नचन्द्ररावस म्य[|सतावानजा: सुखुरुमनन्‍्दसारिगुखश्र गृहांशकपाः । अजमृगतोलिचन्द्रभवनादिनवांशविधि- भेवनसमांशकाधिपतयः स्वृगृहात्‌ क्रमशः ॥ ६ ॥ टीका-राशीश, नवांशक, द्वादशांशक का वर्णन । मेष राशिका स्वामी स्षिंतिज ( मछुल ) वृष का स्वामी सित ( शुक्र ) मिथुन का ज्ञ (बुध ) कर्क का चन्द्र, सिंह का रवि (सूर्य्य ) कन्या का सोम्य ( बुध ) तुछा का शुक्र, वृख्िक का अवनिज ( मुछ ) धन का सुरुरु (बृहस्पति ) सकर का मन्द ( शनि) कुम्मका सोरि ( शति ) मीन का गुरु,( बृहस्पति) ला न शक हित हि राशी | |मे० | वृ०मि०क० [सिं० न बू० गत स्वामी। [म० | शु० | बुध चं०| स्‌. [बुध शु० मि०|ब०शि०शि० वि० नवांशक एक राशि के ९ भाग अथात्‌ ३ अंश २० कढा का होता कक का ऑ है उनकी गणना ऐसीहै कि मेष सिंह धनमें मेष से, वृष कन्या मकर में




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