अकेली आवाज | Akeli Awaz
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
142
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सामने पेश किया जाता / लेकिन उसने ऐसा नहीं किया । बह हुपचाप अपने
पलंग की ओर वापस आ गया ।
उसी समय घंटी वजी । घडी उस समय एक वजा रही थी । वह लंच
का समय था। मनोज कपड़े बदछकर अकेले कमरे से बाहर मिकक आया ।
बाहर भाया तो उसे और लडके मिल गए। एक ने पूछा--6ुम्हारे कमरे
में कोई नया पंछी आया है ?*'
---“हां । बड़ा अजीब है।”
दूसरे ने कहा-- “अजीव । कैसे ? ”
मनोज ने चांठे वाली सारी घटना बता दी । कहा-- वह तो बोलना
भी नही चाहता ।” ठीततरे लड़के ने लानत भेजी | कहा-- अशोक, तुमको
घुप नहीं रहना चाहिए। ऐसे लड़के की शिकायत तुरन्त करनी चाहिए ।”
“हीं, मैं नही करूगा (अशोक ने हृढता से कहा ।
“तो हम करेंगे ।“---एक और छडके ने उत्तर दिया ।
सारे लडके भोजन-गृह में एकल्नित हो गए । बंट सबसे पीछे आया।
वह भी जबरन लाया गया था। चपरासी ने देखा, सभी लड़के भोजन के
लिए चले गए हैं। अकेला बंटू रह गया है। उसने वंदू को आवाज़
दी। उसे जाना पड़ा ।
भोजन परोसा णाने छगा । तभी एक लड़के ने खड़े होकर वबंदू की
शिकायत कर दो | बार्डन उस समय कमरे में घूम रही थी। वह देश रही
थीं कि हर छड़के को ठीक ओर पूरा भोजन मिले | भोजन की माता वंधी
हुईं थी। उसके वाद फल और मेवे दिए जाते थे ।
उन्हे विश्वास हो गया कि बंदू ने ऐसा जद्र किया होगा । एक सेव
छोलते हुए बे बंटू के पास आईं । उन्होंने कहा--- बंदू, सड़ें हो जाओ ।
उनकी आवाज्ञ इतनी सख्त थी कि बंदू को खड़ा होना पढा। फिर
उन्होंने मौज को पड़े होने का आदेश दिया। वह भी यड़ा हो गया ।
और तड़के खाना छोडकर इन दोनों वी ओर देसने छगे।
बा्डन ते मनोज से पूछा--“तुमने यह शिकायत क्यों नही की ?/
मनोज ने नीचे सिर झुका छिया । बह कुछ नही बोला 1
पाईन ने पूछा--वया पह सच है ?”!
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