लोकोक्ति कोष | Lokokti Kosh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अप्तो - , “(१३४ ) .. अलिफके धर 1 मन कह बाली अभी तो तुम्दारे द्ोठोंका दूध भी नहीं सूखा-- |? _ जंब कम कीमती चीजकी ज्यादा होशियारी की जाय, ऊ० दे० | तब के | अभी तो पैटी बापकी हैं १) ध्ंभी लड़कीका सिय्नन सुहाव ने टाट पटोरे ( तुलझो ) विवाह नहीं हुआ । व्याइसे पहिलेददी यदि समधी- | अरे हंस या नगरमें, जैयो आप विचारि। से कुछ कटद्दा-उनी हो, तब क० (३) अब भी कुछ | कागनसों जिनिप्रोति करि,कोयछ दई विडारि | हो सकता है। ( विहारी ) मृखाके गांवमें यदि कोई जाया चाहे, अभी दिल्ली दूर दै--जो थोड़ा ही काम करके समक |... तत्र क+। ले, कि मैंने सत्र फर लिया,उसपर क० | यह फारसी- | अके तरझूकी डारसे कहं गज ॒यांध जाये - छोडे की मसल “हनोज्‌ दिली दूर अस्त” का त्ुमा है। | आदमी वा छोटे सामानसे बड़ा काम नहीं हो अभी सेरमें पूनी भी नहीं क्ती- ऊ० देय । _._ सकता। .... है अम्यास सारिणी विद्या-अम्यासप्ते .विद्या | अर्दध रोग हरे निद्रा, सर्व रोग हरे क्षुघा--जब आातीहै। ५, ८: , रोगी को नींद आये तो उसका श्ाधा रोग अच्छा हो गया, ओ्रोर जब भूख लगे, तब उसे « ८ करत करत अध्यामके, दडमति ह्ोत सुझात | ८८ बिल्कुल शाराम हों गया, समझना चाहिये । रमरी आदत जततते, सिलपर परत निम्ान ॥ (हत्द) अमरसती खाकर फोई नहीं आया: कोई अमर . अल्क़लीलुल... फ़ितरतुन, अलतवीलुल भद्द नहीं होता, सबको मरना है। है | मंकुन-- ( फा० ) नांदे फितरती श्योर लंबे प्ाहमक अम्तानतमैं ख्यानत--घरोहरमें बेईेमानी करया।..।. होते हैं अप्तीरका उगाछ गरीबक़ा आधार--अमीरको | नेल्ख पुरणकी माया, कहीं धूप कही छाया - जो चीज फेंक देनेमें कोई फप्ट नहीं, गरीबके लिये | , « र्बस्की साया अपार है, अथवा ईश्वरकी माया घट्टी बहुत कामकी है। , - जानी नहीं जाती, कोई उज्ली है कोई दुखी है। अमीरको जान प्यारी,फ्क्ीरंको एकदम भारी- | अलख़ामोशी मीमसज़ा-फा? चुप रहना 'झराधी श्मीरको अपनी जान प्यारी होतो है, लेकिन गरी- | समामन्दी है। सोन सम्मति लत्ञणम्‌। चको नहीं, क्योंकि थे बहुत कप्दसे समय बिताते हैं | अल गई घंछ गई, जलवेके घक्त दल गई-- ओर जीनेसे मरना ही धयच्छा समफते दें। .... (झु* ज० ) जरूरतके वक्त काम न ध्यानिपर क० अमीरने पादा.सेद्दत हुई, गरीबने पादा वैश्नदवी [ मलफ़रवः स्वाहमस्याद मर्दें आद्मी-मोदा ताजा हुई--जिस्त कामके करनेसे घड़े आदसीकी तारीफ $ आदमी देखनेमें भलामानस मालूम पड़ता है। होती है उसी कामके करनेसे गरोबकी निन्‍्दा | अलबल खुदावल-- ईवरका बलही बल है। होती है। अलबेलीने पकायी खीग, दूधकी जगद्द डाला क्षय मेरे अगले] मनमाने सो रूर ले--( ० ) जब | नीर-( ज० ) मूर्ख औरतका किया काम बिगड़ कोई ख्री आपने अत्यावारी पति द्वारा सताई जाती |. जाता दै। ै, तब ऐसा क० । अला बला बन्दरफे सिए--कुमंजोरके सिरपर दोष शरजा बइल्‍लत, गिरगमँ बहिफमत-- फार ) मद्ा जाता है। है रु सस्ती चीज खराय होती है, महंगी अच्छी ! जला लूँ, वला दूँ/सहनक सरका लूँ-सुर जन .अरय खरयर्ों छच्छमी, उदय अस्तकों राज ! स्वार्थी बा कपटीको क० । , छुलसी दरिकी भक्ति बिन, ये आयें किद्दि काज् | भहिफ़के नाम वे नहीं जञानते--दिन्दीमें कहते हैं ,« ईग्वरकी भक्तिके बिना यह सब वृधा है। * . “म॑नेरज्षर भद्दाचार्य ५ 1” वेपदढेलिले आदमीको ' अरहरकी टदष्टी और शुक्ररती ताला--।[_ ऐसा के०ा




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