आयर्लैण्ड का इतिहास | Aayarlaind Ka Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अरवा चीन दतिदहास । १९, ....ह0ह0..............................न्‍--+++ जलन लत ल तल अनज नस कल लचर ससससस डी डे ओआआ४४ज४४४४/४४४४८ ३ आपयलैंण्डका अर्वाचीन इतिहास । 'छुकएयरेण्ड पर अँगरेजोंका अधिकार हो जानेके उपरान्त यदि नार- मन लोगोंकी उदार राजप्रद्धतिके अनुसार राजकार्थ्य आरभ हुआ होता, तो आयलैडकी मारी विपत्ति उठ जाती छिकिन आयलेंडम रहनेवाले अँगरेज अधिकारियोंने इग्लेण्डके अधिकारियोंको बराबर यही जतलाने- का प्रयत्न किया कि यदि नारमन शासकीकी सदाकी पद्धतिके अनुस्तार 'आर्यीरेश छोगोंके साथ रिआयते की जायेंगी ओर दोनों मेल होने दिया जायगा तो ऑगरंजॉके लिए यह सबंध बहुत ही अंहितकारक होगा । इस कारण ऑगरेजोकी सास अमलदारीम रहनेवाले आयरिश 'लोगोंके साथ बहिष्कृत छोगोंकी तरह बर्ताव करनेकी प्रथा चल पडी 1 अँगरेज सरदारोने नियमसा कर किया कि हम केवछ जमीन या बन प्राप्त करनेके लिए ही आयलैंड जायेंगे, स्थायी रूपसे रशनेके लिए वहाँ नहीं जायेंगे । शायद उन्हें इस बातका डरसा हो गया था 'कि आयलेडमें रहकर बहोॉके लोगोंके साथ ससग रसनेसे हमारी श्रेष्ठ रीति- नीतिमें बट्ा लगेगा ओर॑ कुछ दिनें बाद हमारा शुद्ध बीज नष्ठ हो जायगा ! इसी दिए दे नकद्‌ भांठ लेकर स्वदेश छोट आया करते थे और जो कुछ जमीन जायदाद उन्हे मिल्तती थी, उसकी देखरेखके लिए' अपनी ही जातिका एक कारिन्दा नियत कर आंते थे और जो कुछ उसके द्वारा चसूल हो सकता था उसीको लेकर अपने देशम आनन्द करते थे। अत यह पद्धति आयलेण्डके लिए चहुत ही घातक सिद्ध हुई । क्योंकि डसेके कारण देशका घन घटने कमा और समस्त घन सपत्तिका मूल- स्थान भूमि-धन घीरे धीरे दुसरोके हार्थेम चछा गया, जिसके कारण उस जमीनका सुधार तो नहीं होता था, केव ऊपरी लोगोंके द्वारा वह जोती-बोई३ भर जाती थी । '




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