अन्तर की आवाज | Antar Ki Aawaz
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
138
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दर]
सहावीर जयन्ति आई है
तर्ज- रविश रविश शशीन है.
महावीर जयन्ति आई है, हर्षित समी को आज मन।
जयकार बार हजार है, मुस्का उठा सारा गगन।
जिन धर्म के है दिव्य भाल-भाल, झुकाऊ इनको मेरा सर।
यही तो मेरे देव है, यही तो है मेरे सदन-3 ।।टेर |।
सिद्धार्थ त्नय महावीर, त्रिशला के बाल है।
मानव को भा गये यही, देवो को भा गये यही-2|
घर-घर मे मगलाचार है-2, खुशियो की नव बहार है।
ये झूम उठा ससार है, कि आये प्राणघार है।।
यही तो सबके ताज है-2, झुकाऊ इनको मेरा सर।
यही तो मेरे देव है, यही तो है मेरे सदन-2111 ||
हजार ढाई जा चुके, पर लाजवाब जबाब है।
बडे-2 सिद्धान्त जो, सदैव जिन्दाबाद है।
अटल ये मेरी धारणा-2 अटल ये मेरा धर्म है।
मुझे तो इस पे नाज है, यही तो मेरा गान है।
इसी मे सब का साज है-2, झुकाऊ इस पे मेरा सर।
यही तो मेरे 1121|
जीओ और जीने दो सभी को, एक यही झकार है-2 |
काटे निकाले भीतरी-2, खिलादे अपना ये चमन।
महावीर के झडे तले, हो जाए अपनी एकता।
प्रेम सबका राज है-2, हो जाता इसमे शात्त मन।
यही तो मेरे देव हैं, यही तो 11311
(17)
User Reviews
No Reviews | Add Yours...