चम्पक सेठ | Champak Seth
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
96
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२१ पहला परित्छेद्
उनमेंसे प्रत्येकको कुमारका सुन्दर चित्र ओर
उसकी जन्म--पत्रिका सी दे दी। उनसेंसे
तीन तो कुमारके योग्य कन्या नहीं पाकर, उयथे
ही हेरानी--परेशानी उठानेले उल्बकर ,पूर्वांदि
तीन दिशाओंमें घूछ कर घर लोट चले । नाटक
करते समय नाचका ताल मूल जानेसे नाचने-
वालेको जेसा खेद होता है, वेसा ही खेद अलु-
भव कर, अपनी आत्माको छृताथ साबते हुए
वे तीनों अपने नगरसें आये ।
“इधर जो सोलह मन्त्री कोबेरी--उत्तर
'दिशाकी ओर गये थे, वे इधर-उधर घुलते--
फिरते गह्ानदीके किनारे बले हुए चन्द्रस्थ
नामक नगरमें आ पहुंचे । वहाँ चन्द्रसेन नाम
के राजा रहते थे। उनकी चन्द्रावदी नामकी
एक कन्या थी, जो बड़ी ही अलोकिक सुन्दरी
ओर चोॉंसठ कलाओं में प्रवीण थी। सन्सत्रियोंने
'राज़ा चन्द्रसेनके पास जाकर उन्हें कुमारका
चित्र और उनकी जन्म--कुण्डली दिखायी।
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