सत्य की खोज अनेकान्त के आलोक में | Satya Ki Khoj anekant Ke Alok Man
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
116
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मानवीय एकता श्श्
वर्गों के लोग महावीर के शिष्य वने ।/
में भतीत के गर्मगृह से वर्तमान के बातायान में लौठ बाया। मैंने
युगधारा का अवगाहन किया तो पाया कि महावीर की अ-मृत आत्मा युग-
चेतना की पाण्वेभूमि में आज भी विद्यमान है। उनकी वाणी की प्रतिध्वनि
आज भी अनन्त के कण-कण में हो रही है । उनके सिद्दान्त आज भी सर्व
व्यापी हैं ।
महादीर ने सापेक्षवाद से विश्व की व्यवस्था की। उन्होंने कहा,
एकता और अनेऊता की धारा एक साथ प्रवाहित है इस सह-अस्तित्व के
प्रवाह में 'या तुम या मैं के लिए कोई स्थान नही है तुम्हारे बिना मैं और
भेरे बिना तुम नही हो सकते | तुम और में एक साथ ही हो सकते है । सघर्ष
वास्तविक नही है । घृणा वास्तबिक नहीं है । वास्तविक है सहयोग, वातरू-
विक है समन्वथ--अपने अस्तित्व के साथ दूगरो के अस्तित्व की स्वीकृति,
अपने व्यक्तित्व की स्वीकृति ।
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