नल दमन | Nal Daman

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Nal Daman by डॉ विश्वनाथ प्रसाद - Dr Vishwanath Prasad

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about डॉ विश्वनाथ प्रसाद - Dr Vishwanath Prasad

Add Infomation AboutDr Vishwanath Prasad

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
मलस-रमग श्र (हिए। उनका रूप भी प्रनुषम्त है। सभा में एक भाटिन मो छहीं से प्राकर बडी थी। ह यापत में जिपृण (लतुर) भ्ौर प्रयृष यो । बह सी उठकर विनयपुमश्त बोसो प्ह्दाराणथ | यह सत्य है कि सिपल हीप में ही पत्मिनी स्त्रियाँ होतो है। परत भपवान्‌ । सीला प्रपरंपार है; बह बाहे तो शाह तलैया में सौ मोतो उत्पप्त कर सकता है। बृह्टौप में भी पश्चियौ सत्रो दिएमास है । यह बात म सुनी हुई नही, देशों हुईं रहती हूं । हुसे संते भी सुना ही था पीर उस पर विश्दाध्त नहीं छिया था। परंतु रूम भ्राजों ले ला तब विध्यास हुमा । बक्तिध विश्ा में बह रूम्पा के रूप में है। संयोय से कछ्तके योग्य भीवष्ठ कोई बर महों मिसा । बहू कुडसपुर सलाम का प्रगुपम सपर है।स समस्त बूड़ीप में फिर बुको हूँ प्लौर उम्तके बेश देश भ्ौर रुगर धार से प्रदप्ी तरह परिद्दित | परातु रस अपता सपर भंते कही सही पाया। बंकुछ के दिपय मे ऋछा लुमा जाता है, बहू लपर सचमुच शसाही रसरीह है। बहाँ के राजा का साम भीमससेन है। बह उप्रपति राजा है प्रौर उसके समान उस संडल भें प्रीर कौई राजा सहीं। उसी राजा को पुद्दो पपिसी है। एक छिद्ध पुरुप के दरदाल से उसका फर्म हुप्ना | उपमें एक बिशेष बात पह है कि पत्चिनी से बहू एक कसा अदुरर है। उसकी हाथ की उंपक्िपोँ में प्रमृत है । एगहें पोषर सृतक के मुल्त में बेने से बह तस्कात छी उठता है। बिषाता से सागो उसे है! प्रमृतत में खाद रर बनाया हो झीर फिर उसके समान बूसरो स्त्री न शना सका हो । उछकौ भुक्त की र्योति के बिपय में तो कुछ कहते ही महीं दवता। दारद पूर्थिमा को चंह्ररांति से भी कहीं उच्च स्पोतिएुण के समान वह लपोति है। महाराज सच्मुच्च बह _पर्िती प्राइर्यछनक है बंधों प्रभी कहीं सेरे सुनन में गहीं प्राई है । उसकी सुषात तोनों पलों में भर पई है प्ौर साद्या संसार सोंरा बनकर उस्तकों प्राश्ा से मंडरा रहांहै। उत्तदी शौमा ने सबक्रो सुभा लिया है।त काने बह छिस भाग्यशालों कै हाथ शमती है ।” यह सुगते ही राजा कौ उतरुंठा बड़ी प्रौर उसते माठिन से कुंशनपुर मप्र, भीमसेन राआ झहौर शाजपुत्री के जम्म प्रारि का विस्तार पूरक बर्नन करत के लशिय कहा। साटिग ले तदगुसार पहुसे नगर के थुस कुंसवारी पक्षी हात सरोबर बुआ बाबड़ी, सस्दिए, भदग, घ्टूटासिका छत्रो पुर भार से हर भैया, हाट, आजार, औचौक, ध्यापार, स्यषसाय, ठप पाशंडी, बेदपाठी दाह्मग ज्योहिपौ, स्वौप-नृर्प शाह दह्म लड़ौ-पूटो सॉप, पैरा चिप्रकार, छाज-सरद, चेटक स्‍घ्लौर विदिप छातियों का विस्तृत बर्मद किया। तत्पदचात्‌ राज दुर्ग, हापी, पोड़ रांणरार, राहसमा पीर राजा भोमसेव तपा प्रशक्षो पररानों शाडपती का उस्सर करते हुए ध्प्त में राजपुओ का सबिस्तर प्रदोम्‌ प्पकारी दर्भन कर राजा को शुनाया । राजपुत्री के जम्म के विषय में बताया कि --राजा मीमसेत के कोई संतान लहीं पी जिसके लिप व सईब बितित एदृत बे। एस दिस इसन ऋषि उसनक शाग्प में प्राफर तपस्पा करत क्ों। दाजा में हुना तो उसके इशेस के निश्ित्त वए * ऋषि हे प्ररूस्ण होकर रातो को छिताने क लिपे राह को आर पहले कल रिए भौर झड़ कि उनहे प्रभाव से उतकौ इचद्धा कौ पति होगी । सिशन शमय प्राग पर उनझशो शानों राश्मतो के चम से चार शतामे--रमथ तौम पुत्र भीर एढ़ पुत्रो--उत्प्त हुए । थे सब बढ़े भाग्प- पाती बुद्धितान साथ, सुप्ौल झौर बर्मश हूँ। पृ्री स्त्रियों में अप्ठ पस्चिनों के समान है भ्रौर इतह्ा शाह बर्भतो (इजपम्तौ) है ! राजा यह मुसते हो प्रम के बग में होगणा। बहु उदाप




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now