वंश भास्कर खंड 6 | Vansh Bhaskar Khand 6

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Vansh Bhaskar Khand 6  by सूर्यमल्ल - Sooryamall

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हर का क्र 5 2, | (२५९१६) । शमारकर [बिधासिहक चरित्रस ३ की 50 कोटाप्ति किय सिक्ख अप्प आयउ बडुन्दीपुर ॥ दिय सिल्लान सब सेन जतसागश तड़ाग तट ॥ दइवजोंग निस समय आग्गि ल्ग्गिय छेर्न पठ॥॑... सर सेतु मध्य झद्द पिंहित इक १सजि रू तत्थ बर बने रहि ॥ हसम डेरन सहित मझुज तरंगह कछुक दहि ॥ ३ ॥ दारुन उतपात दान सत दोच२०० सबिधि दिय ॥ ज नगर द्वार उत्तर प्रवंस कय ॥ र्जन मंगद्नपुच्ब बबिध उच्छाह बधार ॥ श के “5७ इंद्ठा चत्वर चोंक सउध प्राकार संगारे ॥ » विधि निगम साधि वर बरनि इस नीराजित सह गन किंय॥ किक कहछुदिनन अंत जवनेसके चरन आय फरमान दिय ॥ ४ ॥ / दक्खिन्र दब्बनकाज चढ़िंग आतेंबल अतीव रिस ॥ हिल्ले रेवापार नाम निज नगर बसायों ॥ - बहुत बश्च राद्दि तत्थ कछुक अरे अमछ् उठायो ॥ 88 ८ बह प्लिति।भीम कोदादइपपुश्न.अातधघुर साइनमें छुख्प.सरसतु त्तड़ाग की तव. लाक पिह्ठि तत्व तहां. छ।र भस्म. हसस वंसभच., यह हसमभ दाब्द दर्शी पा ते उदाहरण, “इससे, हय थाय दृद्ा आत्ति/। घह दोहाकी चरन ए- धवीराजरालेले महंज्दा खमें है. अर और टोरहु रासे में बहुत प्रयाग हैं अरू.. सुसलमसान कहे हँ कि हमारे वेसवक्तों नाप्त दशसत्‌ है ताफो यह भथों है, पर- म्तु याम तकार हयात देशीप्राकृत ही मान्यों- सघुज मनुष्य, दहे ज- रे ॥र॥ इंद्िहति ! खयकर, सावाध विधि सहित. उत्तर उत्तर द्शाकके पद वॉनिकन के विदायकों स्थान, चत्दर चुहंट, चोक याजार, सउर्ध देशी १8 5५1 5५ सदडध, बंप ब्दे द्व ६1 खसखाधा।छाराजसदन'? मित्यकषर: | प्रा कार खांफछ दाद गय चंध रू हक कं लिखपी' डेभम ॥ 1 दिाल्लयपाते इति ॥ शिस रोखसो, सेकलजा गा | सानाहूचा सकलकन्यक्े/ त्यमर भा नापनिज अपने ना” .' सलमान लव दक्षाप्राछत है ॥ तह॒ाक्ते दासी ही तुरक, श्र ट॥ ञ) है 127 हि के




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