जीवन क्रम | Jeevan Kram

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : जीवन क्रम  - Jeevan Kram

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about राजेश्वर प्रसाद सिंह - Rajeshvar Prasad Singh

Add Infomation AboutRajeshvar Prasad Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
माता का दृदय २७ पदयारा और इस पर भी अगर वह अपनी चाल सुधारो को राजी न है, तो साफ' फह् दो कि तुम उससे मिलया नहीं चाहती 7? +पहुत्त अच्छा!” मी जानती हूँ वि हुम्ह इसके लिए. प्रद्ठा त्याग बरना पढ़ेगा। फकि्ठ त्याग ही वह अग्नि-परीक्षा है, जिस्म उत्तीर्ण दाने पर हम सारियां का नायीत्व पर सोते की भाँति चमक उठता है थ्रपर म॑यहाँ सफ्फर तुम्दार समय पयाद न फरूँगी 1? सायित्री उठ सड़ी हु*। घुसनत उठरर, मुस्कराबर, दुलारी ने कद्ा--झापका समय भले हो बयाद दो, फिन्तु मुझे ता ऐसा जान पडता है कि यहाँ श्याऊर आपने मेरा यढा उपकार किया है! “में फिर आउऊँगी, बेटी [” दुलारी फो हृदय से लगारर, उसके सिर पर ह्वाथ फेरकर, पीठ पर थपक्रियाँ देकर, बह चली गई | पिचित्र अउुभूतियों के एस में दबो हु” छुलारी मूर्तिबत्‌ खडी रह गट। अं ३८ ८ अपने शयनागार में जाकर, पलग पर लेय्कर, हुलारी छत की ओर तायने लगी | यारिती की बातें सुनकर नवीन रिंचारा की जो धारा उसके मस्तिष्क में प्रयाहित हो गई थी, उस में वद बह रही थी। क्या चढ़ यास्तव में सुसी हे १ मर्द आते हैं, उसकी खुशामद करते हैं, तारीफ के पुल याँचते हैं, धन में करते हैं, और तृप्त हाऊर चले जाते हैं। श्रच्छे से अच्छे यस्त, प्रच्छे से अच्छे खाते उसके लिए हाजिर रहते दें। कि खुशामद की बातें मुतरर, अच्छे कपड़े पहिनकर, श्छे खाने सारर, क्‍या बद सु्ी हे ! मर्दों पे इशोरे पर क्या उसे कछ घुतली वी दरद् नाचना नहीं पड़ता १ उपकी अ्रप्रिय बातें सुनकर, उसे अनिच्छित ब्यवद्वार पाऊर क्‍या उसे खूत के घूँट नहीं पी जाने पडते १ जो कुछ उसके पास है, उससे क्या बह सद॒ुष्ट रहती है? ओऔर-थौर




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now