रासो साहित्य विमर्श | Raso Sahitya Vimarsh

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Raso Sahitya Vimarsh by माता प्रसाद गुप्त - Mataprasad Gupt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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७ रासो साहित्य विमश और रासान्वयी काव्य भूसिका प्र ३६९ ) इसलिए यह रचना सं० १२४९ के श्रास- पास की मानी जा सकती है | यह श्रनुमान किया जाता है कि रचयिता राजश्थान के निंवासी थे ( वही प्रृ० २६१ ) । रचना ४४ छुंदों में समाप्त हुई है । इसका एक सश्करण उपयुक्त रास और रासान्वयी काव्य में प्रकाशित है । (६) गय सुकुमाल रास--रचयिता देल्दशि । रचना-तिथि अज्ञात है | किन्तु ऑनुमान किया गया है कि सं० १३०० के लगभग इसकी रचना हुई होगी । इसक रचना-स्थान भी शात नहीं है । यह ३४ छंद में समाप्त हुई है । इसके दो संस्करण एक राजस्थान भारती भाग हे शक र पर श्री झ्गरचंद नाहटा द्वारा स्पादित श्रौर प्रकाशित है दूसरा उपयक्त रास श्रौर रासान्वयी काव्य में प्रकाशित है (१०) सप् च्षेत्रिासु -स्वयिता श्रज्ञात हैं । यह सं० १३२७ की रचना है (छंद ११८) । इसका रचना-क्षेत्र गूजर प्रदेश माना जाता है इसमें कुल ११६ छुंद हैं। यह रचना श्री सी० डी० दलाल द्वारा संपादित प्राचीन गूजर काव्य संग्रह भाग १ (गायकेवाड़ झोरियुंटलसीरीज़) में प्रकाशित है । (११) पेथड रास--मंडलिक रचित । इसकी रचना सं० १३६० के त्ास- पास मानी गई है । इसकी रचना भी यूजर प्रदेश में हुई सानी जाती है | कुल दश. छुंश हैं । यह भी उपयुक्त घाचीन गूजर काव्य संग्रह भाग १ में प्रका- शित है । (१९१ कच्छूली रास--रेखक का नाम श्रज्ञात है | इसकी रचना सं० १३६३ में हुई थी (छंद ३५) | यह रचना भी गूजर प्रदेश की सानी जाती है । इसमें कुल ३५ छुंद हैं । यह रचना भी उपयुक्त प्राचीन गूजर काव्य संग्रह भाग प्रकाशित है | (१३) समर रास--+रचयिता श्री श्रम्बदेव सूरि । यह रचना सं० १३७१ के याद किसी तिथि की है क्योंकि इसमें सं० १३७१ की एकघटना का उल्लेख इुद्रा है (भाषा १९ छुंद €. )| इसका रचना स्थान झणरिजिपुर इपाय्ण सुजरात) है । यह भी उपयुक्त घाचीन गूजर काव्य संग्रह भाग २ में प्रकाशित है । १ रास और रासान्दयी काव्य पु० ११७ नर ही डॉ० सोगीसाल सांडेसरा बम इतिहास नी केछी न्यू 881




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