ब्रह्मवौवर्त पुराण | Brahamvaivart Puran

Brahamvaivart Puran by पं० श्रीराम शर्मा आचार्य - pandit shree sharma aachary

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

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जन्म:-

20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)

मृत्यु :-

2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत

अन्य नाम :-

श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी

आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |

गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत

पत्नी :- भगवती देवी शर्मा

श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ले नवते है । गरधजी की कया जगदू-जगई भिन्न प्रकार से कहीं गई है, पर 'ब्रह्मव वत' की कथा सबसे घविक पुथक डई य पड़ेगा । पर एक निरपेक्ष पाठक को सबसे अधिक खटकती है, वह यद्टी है कि लेखक ने श्रधिकांध कथायों में घोर खास कर 'राधा-कृष्ण' के बणन में स्यूड्ार-रस दे. नर्ण इतना घ्रचिक बढ़ा दिया है कि चने घ्ोचित्य की सीमा से बाहर कहां जा सकता है । इन चरांनों से यह प्रतीत छ्ोता है कि इस प्राण सो ट हे जिसने लिखा हों. कवि को दृष्टि से वह श्रवव्य हो शद्धार-रस का घहुत चड़ा प्रेमी था | इस प्रकार का वरान धन्यय भी किया गया हूं पर 'ब्रहमाच उत' में यह चण खुने घददों में किया गया है, उसका ममयंन नहीं क्या जा सकता । हमने ऐवें घनेक श्रलों को पहले ही निकाल दिया हैं, फिर भी जो कुछ बचा है उसी थे पाठकों को हमारे कटाक्ष कामबाणंव्च दिद्धि: क्रीड़ारसोस्मुख: | सुर्च्छा प्राप्य न पान तस्थी स्‍्याग्प समों हरि: 1 पान मुरदों तस्य क्लोडाकमल मुज्ज्वलयु । द्रितोय पीन वस्त्राज्च थिग्विपिच्छं घरीरत. 1] करोन चेतनां प्राप्य ययी साघान्तिक मृदा | छत्वा वक्षसि तां प्रोत्या समानिप्यत्रचस्वर से: थे




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