विवाह और नैतिकता | Vivah Aur Naitikata
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.44 MB
कुल पष्ठ :
230
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
बट्रैंड रसेल - Batraind Rasel
No Information available about बट्रैंड रसेल - Batraind Rasel
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मातृसत्तात्मक समाज ६ श्यक है वह यह दिखाना है कि बहुत सी रीतियां जिन्हें हम सहजवृत्ति के विरुद्ध समभते हैं सहजवृत्ति से साथ व विशोर संघर्ष में श्राए बिना लम्बे काल तक चलती रह सकती हैं । उदाहरण के लिए न केवल अझ्सम्य बल्कि कुछ अपेक्षाकृत सम्य जातियों में थी यह सामान्य व्यवहार रहा है कि कूमारी कन्याम़ों का कौमाये भंग धमेगुरु अ्रधिकृत रूप से (गौर कई वार सावेजनिक रूप से) करते हैं । ईसाई देशों में यह विचार प्रचलित रहा है कि कौमार्य भंग का परमा- घिकार दूल्हा को ही होना चाहिए शरीर श्रधिकतर ईसाई कम से कम हाल ही के समय तक धामिक श्राघार पर कौमार्य भंजन के प्रति अपनी अरुचि को सहजवृत्तिमूलक ही मानते हैं । श्रतिथि के सत्कार के लिए श्रपनी पत्नी को उस के पास भेज देने की प्रथा भी ऐसी है जिसे आधुनिक योरुपवासी सहजवृत्ति के आधार पर अ्ररुचिकर- मानते हैं लेकिन यह बहुत प्रचलित रही है । स्त्रियों ्वारा बहुविवाह की प्रथा भी ऐसी है जिसे कम पढ़े गोरे लोग मानवीय स्वभाव के विरुद्ध मानेंगे । शिशु-हत्या इससे भी बढ़ कर मानवीय स्वभाव के विपरीत जान पड़ेगी लेकिन तथ्य यह है कि श्राथिक दृष्टिकोण से जहां भी यह लाभदायक है वहाँ इसे बहुत इच्छापूर्वक श्रपनाया जाता है । सच तो यह है कि जहां तक मानवों का सम्बन्ध है सहजवूत्ति श्रसाधारणतया झ्स्पष्ट होती है श्रौर अपने सहज़ सागं से बड़ी सरलता से भ्रष्ट हो जाती है । यह बात वहशी लोगों श्रौर सम्य समुदाय दोनों पर बरावर लागू होती है। सच तो यह है कि जो बात असम्यता . से इतनी दूर हो जितनी कि सेक्सीय मामलों में मानवीय व्यवहार उपके लिए सहजवूत्ति शब्द ही उपयुक्त नहीं है । इस क्षेत्र में एक ही काम है जिसे शुद्ध मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से सहजवृत्तिमलक कहा जा सकता है श्रौर वह है शैदावा- वस्था मे स्तन चूसना । मैं नहीं जानता कि असस्य जातियों में क्या स्थिति है लेकिन सभ्य जातियों के लोगों को तो मैथन क्रिया सीखनी पड़ती है । विवाह के कुछ वे बाद दम्पत्ति द्वारा डाक्टरों से यह पूछना असाधारण नहीं है कि सन्तान प्राप्ति के लिए क्या किया जाय । और ऐसे मामलों में डावटरी परीक्षा के दे यही मालूम हुआ है कि उस दम्पति को यह मालूम ही नहीं था कि सम्भोग कसे किया जाता है । इसलिए देखा जाय तो मैथुन क्रिया वास्तव में सहजवृत्ति- - ह
User Reviews
No Reviews | Add Yours...