सहजो बाई की बानी | Sahajo Bayi Ki Bani

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Sahajo Bayi Ki Bani by सहज प्रकाश - Sahaja Prakash

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गुरु महिमा, ११ सदजो गुरु फरसन्न है, भूद लिये दोउ नैन । फिर मो सूँ ऐसे कद्दी, ससक लेहि यदद सेन ॥५१॥ सहजो गुरु किरपा करी, कहा कहूँ मैं खोल । रोम रोम फुल्लित भई, सुखे न. आवे बोल ॥४२॥ चिउटी जहाँ न चढ़ि सके, सरसाँ ना. ठइराय । सहजो कूँ वा देख में; सतशुरु -दई.. बसाय ॥४५३॥ सिष पोधा नोधा अभी, गुरु किरपा की बाड़ । सहजो तरवर फेल बड़, सुझल फले वह स्ाड़ ॥४४॥ सहजो सिष ऐसा भला, जैसे... माटी. सोय । आपा सौँपि कुस्हार कूँ, जो कहुं दोय सो द्ोय 0५४॥ सदजो सिष ऐसा सला, जैंसे त्वकई... डोर। गुरु फेरे त्थोँ ही फिरे, त्यागे अपना. खोर ॥४६॥ सदजो गुरु ऐसा मिले, जैसे... धोबी. होय । दे दे साबुन ज्ञान का, सलसल. डारे. धोय ॥0४७॥ सहजो गुरु ऐसा मिलै, सेटें.. सन. सन्देह। नीच उँच देखे नहीं, सब. पर. बरसे मेह ॥४८॥ सहजो गुरु ऐसा मिले, जैसे... सूरज. धूप । सब जीवन कू चाँदना, कहा रंक कहा. भुप ॥५६॥ _ सहजो गुरु ऐसा मिले, संमदष्टी निलास । सिष कू प्रेम समुद्र में, करदे सोबासोब ॥द०॥ सहजो गुरु बहुतक फिरे , ज्ञान ध्यान सुधि नादिँ । तार सके नदिं एक कं, गहँ. बहुत की बाहिँ ॥३१॥ ऐसे गुरु तो. बहुत हे, धूत शत धन लेहिँ । _सहजो सतयुरु जो मिलें, सुक्ति धाम फल देद्विं ॥६२॥ ........... के रास्ता, आदत पाप




User Reviews

  • Abhi

    at 2020-02-13 13:20:21
    Rated : 10 out of 10 stars.
    "Ruhani, Santmat"
    Santmat, Ruhani, Spiritual
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