शिक्षा में क्रियात्मक - अनुसन्धान | Shiksha Me Kriyatmak Anusandhan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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्रियात्मक-अनुमन्थात से तात्पयें है एवं उनके क्यों का पता लगाते के लिए की जाती है। उनके विचारानुसार अनुसन्धान द्वारा प्राप्त फल प्रामाणिक एवं समर्थनीय हो तथा उससि अपोत झात्र में नये ज्ञान की श्द्धि होनी चाहिए । श्रो कक की इस परिमाषा में अधो- लिखित बादों पर अधिक ध्यान देता होगा-- (मं) मनुसन्धान एक निर्न्याज (छं०घ८४६) खोज है 1 (व) अनुसन्धान एक साज़ोपाद्ध (853050४८) सोजे है । (स) अनुरान्धान एक समसदारी के थाय की हुई खोज है । (द) अनुसन्दान के अन्तर्गत की जाने वाली यह खोज तथ्यों (8०5) एवं उनके बयां (100छ़ा८०0/०७४) का पता श्रगाती है । (व) थनुसन्धान द्वारा प्राप्त परिणाम प्रामाणिक (80१७८०9८) होते हैं । (र) अनुसन्धान द्वारा प्राप्त परिशाम समचंत्रीप (४६४४५3७१७) होते हैं । पल) अनुसन्धान द्वारा प्राप्त परिणाम ऐसा होना चाहिए जिससे उस छषत्र में जिसमे कि वह अध्ययन क्या गया है, नवीन ज्ञान की प्राप्ति हो । यह परिभाषा 'अनुसन्धान' के प्राय: सभी अंगों का स्पष्ट निर्देश करती है 1 (शी सी० सी० क्राफोर्ड” के मत में भ्नुसस्थान, विचार करने की एक सूदम एवं ब्यवस्पित प्रदिधि है जिसमे विशेष यन्त्र, उपकरणों व विधियों का प्रयोग किया जाता है तथा जिसके द्वारा किसी समस्या का रामूचित हल उपलब्ध होता है । इसमें जिज्ञासा की दृत्ति प्रधान होती है न कि किसी तथ्य को बलपूर्वक सिद्ध करने की पृत्ति । इसमें मौलिक कार्य निहित होता है न कि केवल सम्मति मात्र । अनुसस्थान से कैदल 'इया' का ही बोध नही होता बहिक “कितना का मो. बोध होता है ६ अनुसखान के लिए मापन ,. *फुरटइट्वाटोा ह झंपजोए 2. 55180 20वें वटीतिल्ते (पीएंपुएड 0 वैहिएए, दप्फूणकोणड्ट 5़ध्पजीडट्ठ 1005, फ़ाडोइए््रोट्ाड 20 काण्स्‍्टपपाष्ड 5७ एल १0 एएडण 8 छा प0६पण७1८ उपर 015. छ(001८0, ध3७ सण०्णेंत 9८ 9०55८. छ9ठ६ छाए! ७1% प्ाट७05. वा इधिाड स्षि 5 फ़णएंशिट्या, दर्णट्टाड ठंड 0र खिटड, शााडीप्ध्टड, ट्डड लांपंट!7 800 इट्व८फ६5 पेध््ंजंणतड ए3960 00 (9८ 8८६0३] ट्विटाल्‍्ह: 1 स्णशटड जाइिफ्ड कण वाट 0 06 हाटाएंडिठ 0 फुला504 0फांपोणा, . ह उठरणशटड फधिएण ये छट्पप्रांगाद एड 10 इत०्स एटा पज्त 8 पैट्ञाट (0. फाण/ट धाटपाएडर. है| पड पुण्यपपि(उतिच्ट, इ्टीकाइ 10 तार घी एएॉप् भय, 0 घ0फ/ छाएटी 20 उप ध्य5शाच्घाटाधी 15, पैटार्णट, 8 (एट०(सी धिडिधाट 0111. न&. 0. पाध्प्णिये,




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