शीघ्र बोध भाग खण्ड सत्रह | shighra bodh Vol 17
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15.77 MB
कुल पष्ठ :
532
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)षणु ११ पक साधु दुसरे साधुपर आक्षेप ( कलेक १४७ १२ मुनि कामपीडत हो संसारमे जावे १४७ १३ निरापेक्षी साधुकों स्वल्पकाठमे भी पश्टि श्छ८ १४ परिद्दार तप वाला मुनि १४९ १५. गण ( गच्छ ) घारणक्ररनेवाले मुनि शु७६० १६ तीन वर्ष के दी क्षित अखंडाचारी कों उ पाध्यायपणा १५.९ १७ आठ बर्षौके दी क्षित . आचायेपद ८ १८ पएकदिनके दिध्िंतकों आचायेपद धरे १९ गच्छवासी तरुण साधु ८३ २० चेदा में अत्याचार करने वालेको ७ २१ कामपिंडित गच्छ त्याग अत्याचारकरे १५ २२ वहुधुतिकारणात् मायामृषावाद बोले तो १५५ २३ आचाये तथा साधुवोंको विहार तथा रहना... १५६ २४ साधुवोंको पट्चि देना तथा छोड़ाना श्ध्७ २५. लघुदीक्षा घडी दिक्षा देनेका काठ ६० २६ ज्ञानाम्यासके निमत्त पर गच्छमे ज्ञाना ६१ २७ सुनि चिद्दारमें आचायंक्ि आज्ञा श्घ्र २८ लघु गुरु होके रहना श्द्े २९ साध्वीयोंको विद्दार करनेका श्द् ३० साध्वीयोंके पश्टिदेना तथा छोडाना १६५ ३१ साधु साध्वीयों पढाहुवा ज्ञान चिस्मृत हों ज्ञावे १६६ ३२ स्थवीरोंको ज्ञानाभ्यासे १६७ ३३ साधु साध्वीयोंकि आलोचना ्द््ट ३४ साधु साध्वीयॉकों सपे काट जावे तो ६८ न्चुक ३५ सुनि संसारी न्यातीछोंके वहांगोचरी जावे तो. १६९ हे झात या अज्ञात मुनियोंके रहने योग्य... - १७१ ३७ अन्यगच्छसे आइ हुई साध्यी नि फट
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