संसार की श्रेष्ठ कहानियाँ भाग 2 | Sansaar Ki Shreshth Kahaniya Bhag - 2
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.62 MB
कुल पष्ठ :
194
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)लंखक--एु० कुाप्रन | आँखे पशु की श्राँखों की तरह सामने गड़ी हुईं थीं। सबके कहने पर स्टीपन एक प्याला चाय पीने को राजी हुआ । वह बड़ी श्ावाज के साथ धीरे-धीरे पीने लगा । पीकर उसने बड़ी सावधानी से प्याले को एक कोने में ते जाकर उलटा रख दिया | निकोलोविच सोच रहा था न जाने कितनी राते इस विषेले कुहरे से भरे यापू की कुटिया में रहनी पड़ेगी झूलने की मचकचाहट बन्द हो गयी थी । मिल्लियों की नींद लाने वाली ध्वनि शुरू हो गयी । बिछोने पर वह छोटी लड़की बैठी हुईं रोशनी की ओर एकटक देख रही थी । उसकी बड़ी आँखें श्र भी ज्यादा खुली हुई हैं उसका सिर कभी-कभी मानों बेदोशी से एक तरफ भुक॒ रहा था । रोशनी की _ तर एकटक ताक कर वह क्या सोच रही थी क्या श्नुभव कर रही थी ? कभी-कभी वह हाथ फेलाकर ज्ञान्ति के साथ अँगड़ाई लेती थी और इसी समय उसकी आँखों पर अद्भुत अकथनीय सुस्कराहट दौड़ जाती थी मानों सुनसान और गहरे झन्घधकार से भरी रात्रि में उसे कोई झपूव वस्तु मिलेगी । निकोलोविच सोचने लगा इस परिवार के सभी व्यक्ति इस भयानक रोग के पे में फेंसे हुए हैं जिससे वे. छुटकारा नहीं पा सकते । वह जो लड़की ब्रिछोने पर बैठी है वह शायद यह थूल गई है कि स्वस्थ जीवन क्या है । उसका दिन न जाने केसे बीत रहा होगा । दिन निकलता है तो गोल-माल चिल्लाहट और उकताने वाली रोशनी--न जाने उसे कैसी मालूम होती होगी । सध्या होती है श्रौीर वह उसी तरह बैठकर रोशनी की ओर क्लान्तिपूणण अपैर्य से देखती हुई रात्रि की प्रतीक्षा करती होगी । उसकी कोमल क्षद्र देह में अ्रसाध्य रोग ने घर कर लिया हे और प्रतिदिन उसे दुर्बल कर रहा है। एक दुः्खप्रद भीषण स्वम्न-राज्य के बीच में बीमारी उसे कुछ दिन रख कर एक दिन उसे मिटा में मिला देगी .. .... जमाना हुआ कभी .कहीं निकोलोविच नें किसी प्रसिद्ध चित्रकार
User Reviews
No Reviews | Add Yours...